सैयाद ने था जाल बिछाया
और मैं दाना चुगने बैठ गया,
...जलते हुए अंगारों पे
इक ख़्वाब सुलगने बैठ गये,
क्या पता था के यह ख़्वाईशों का दरिया
मुझको डुबोने आया है
उफ़्फ़... ना जाने क्यूँ कर इक जुगनू
पानी में बुझने बैठ गया... !!-
यह मेरे दिल के जज्बात 💞
जो हर पल कुछ कहते हैं 📝
मैं भले ही चुप हो जाऊं 🤫
लेकिन यह ना चुप रहते हैं✍️-
मैं सपनों के दुनिया में फिर से खोना चाहती हूं
बस एक बार वापस आकर अपने इन यादों
को भी अपने साथ ले जाओ ....!-
इतना तो है यह इल्म
तुझे भी
और मुझे भी
'यह हो गया है जो'
यह होगा नहीं
अब किसी से भी
- साकेत गर्ग 'सागा'-
इस छोटे से जीवन का बड़ा लम्बा फ़साना है.......।
गुम हैं जहां मे जो कहीं ना ठिकाना है.....।
जिसे ढ़ूँढ़ रहे हैं हम खुदा वो तेरा आशियाना है.....।-
यह मनचाहा मौसम कभी भी दस्तक दे जाता है, यूं कहो तो दिल में अपनी याद खुल कर दे जाता है।।
रातें तो शाम में हुआ करती है,
एक मौसम को देखने के लिए।।
अब तो बेमौसम ही बारिश हुआ करता है,
झिलमिल बरसात और ये खूबसूरत सी यादें,
वह शाम की बूंदें यूं बंद आंखों को भी भिगो जाती है।।
अब इसमें भीगना भी एक एहसास दिलाता है,
तन बदन को भी भिगो कर चला जाता है।।
रातें तो भी अंधेरों में कट जाती हैं, जब मौसम छम छम कर बरसना शुरू कर जाती है।।
यह तो एक मौसम की झंकार है,
बादलों से मौसम का बदलना, धुंध होकर अंधेरों का होना,
यहां एक नया आसमान दिखाई देता है।।
देखो तो जिंदगी का हर मौसम कुछ नया रंग भर कर लाता है,
आधे रास्ते में ही मौसम का साफ हो जाना,
सात रंगों में बिखर कर सतरंगी का रंग दिखाई देना,
एक इंद्रधनुष के रूप में अपने आप को दिखाई देना वाला,
एक नया रंग बिखर कर आता है।।
यह मौसम है, जनाब कभी झमाझम बारिश तो कभी अंधेरा तो कभी उजालों का दर्पण होता है।।
बेमौसम बारिश रिमझिम सा लगता है, बस रिमझिम सा लगता है।।
@By Vivek...
-
शाम होते ही,, तेरी याद आ जाती हैं,,
जो तूने दिखाई वो औकात याद आ जाती हैं
फिर मेरे दिमाग में ये बात याद आती हैं
इस को अपलोड कर देता हूं ये दिल से आवाज आती हैं,,👉😎-
आधे से कुछ ज्यादा है पुरेे से कुछ कम
जायका चाय का हो या दोस्ती का
पूरी शिद्दत से निभाते हैं हम
कुछ मीठा तो कुछ कड़वा
हर स्वाद में ढल जाते हैं हम-
जिंदगी ... आईने की
तरह है ,
यह तभी मुस्कुराएगी
जब आप
मुस्कुराएंगे ... !-