आन बान शान भूल चुकी त्याग चुकी हूं मोह माया राज रजवाड़े रास ना आए माधव जब से नाम सुहाया♥️
-
मोह माया से बंधा हुआ
अपने भय के आकाश में है वो।
अर्जुन है वो भटका सा
अपने माधव के तलाश में है वो।
उलझन के अंधेरे में घिरा हुआ
रात के फीके प्रकाश में है वो।
पार्थ है वो विचलित सा
अपने कृष्ण के तलाश में है वो।-
माया है, भरम है, ये मोहब्बत की दुनिया,
न मुकम्मल हुई है, न होगी, इसकी कहानिया..-
अपने स्वामी की भक्ति में लीन
माधव के शरण है वो
कृष्ण के श्री चरणों में समर्पित
उनका दास है वो
धरती, आकाश, पाताल में है वो
सूर्य के चमकते तेज़ में है वो
हर समय राधास्वामी की सेवा और
उनके प्रेम से परिपूर्ण है वो
-
अकेले आये हैं,
अकेले जाएंगे,
सब जानते हैं,
लेकिन
ये बीच की,
जकड़न,मोह माया
सबको नचा रही है...
इस गति से ही,
ये ब्रह्माण्ड गतिमान है....
सिद्धार्थ मिश्र-
जिन्दगी से घुटन सी होने लगी है, लगता है मौत का तुफान आने को है,,
वक़्त बहुत कम है शायद, तभी तो मोह के बन्धन से मुक्त लग रहे हैं,,-
मोह खत्म होते ही,
हमारे अंदर से खोने का डर भी निकल जाता है,
वो चाहे वस्तु हो, दौलत हो, रिश्ता हो या फ़िर, ज़िंदगी..!!-
रंगभूमि में खड़ा हुआ,
विजय दीप की आस में हैं वो।
सारे संबंध तोड़ने के,
अपने अंतिम प्रयास में हैं वो॥
गीता का पाकर अद्भुत ज्ञान,
अपने माधव की अरदास में हैं वो।
मृत्यु का भी अब भय नहीं,
क्योंकि अपने ईश्वर के विश्वास में हैं वो॥-
कुरु वंश की कुलवधू नही
पांडव की पांचाली नही
द्रुपद की द्रौपदी नही
साख्या रस से परिपूर्ण
कृष्ण की मै कृष्णा हुई
-