बेरंग सी जिंदगी में तेरे इश्क की कुछ बूंदें,
नामुराद वक्त भी कुछ मेहरबां सा लगता है !-
इक़ मेहरबानी करते और मुझे हार देते
शुक्रिया अदा़ करता और हम भी शुक्र-गुजार देतें-
दौड़कर लिपट जातें हैं कभी,
कभी मुंह फेर लेते हैं ...
सुना है यह भी
उनकी 'अदा 'ठहरी,
मेहरबां होते तो हैं जरुर ...
बस कुछ देर लेते हैं !-
निकलता उम्मीद का सुरज और रुत जवां हो जाती
काश ये जिंदगी मुझपर भी मेहरबां हो जाती-
किसी शज़र की मानिंद...
फैलायी हैं आपने बाहें
और बाँट दिया
प्यार का मेवा
आप सा मेहरबां कौन है यहाँ!-
हमने इबादत जैसा इश्क़ किया,
तो उन्होंने भी खुदको रब मान लेने में कसर ना छोड़ी ।💔
सुना है,
बहुतों ने खुदको फनाह किया है उनपर,
कईयों की इबादत कुबूल की है उन्होंने,
रब मेहरबां बहुत है उन पर ।🙌-
वो मुझ पर मेहरबां है,
जो ख़ुद उर्दू जुबां है..!
वो है मेरी शायरी में,
न पूछो वो कहां है.?
सफर की राह वो है,
वही तो कारवां है..!
मेरी गजलों में शामिल,
उसी की दास्तां है..!
उसी की याद से तो,
ये दिल भी नौजवां है.!
इनायत है खुदा की,
करम ऐसा हुआ है,
ये शोहरत है स्वतंत्र की,
वो शायर–ए–हिंदोस्तान है!
सिद्धार्थ मिश्र-
मेहरबां है खुदा भी आज मुझपर,
क्योंकि आज नींद से जागा हूँ उसकी तस्वीर देखकर....!-
खूबसूरत हुआ है ये सारा जहां,
आप मुझ पर हुए इस कदर मेहरबां!
आसमा पर पिघलता सा सूरज लगे,
बारिशें ले के पहलू में छाई घटा..!
नूर बिखरा है मौसम सुहाना लगे,
बूंदें बरसाता बादल दीवाना लगे,
हर तरफ हैं नज़ारे नज़र ना हटे,
आप के इश्क़ का यूँ असर है हुआ! खूबसूरत..
नाउम्मीदी की रातें सिमटने लगी,
दिल की सोई हुई ख़्वाहिशें सब जगी,
मेरे लफ़्जों से उल्फ़त छलकती है अब,
मेरे ख़्वाबों में हैं दिलनशीं वादियां..!खूबसूरत..
सिद्धार्थ मिश्र
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