जुल्फ़े-रुखसार से घायल है दिल,
तेरी अदाओं का कायल है ये दिल।
अब दूर भी जाऊं तो कैसे मेरे माहिया,
बंधा तो तेरी पायल से है ये दिल।-
तू ही वो साथी है
मैं दीपक बनता
तू बनती बाती है
तू ही वो साथी है
मैं पढ़ता रहता
तू लिखती जाती है
तू ही वो साथी है
इतने गम में भी
सदा मुस्कुराती है-
झुमके, बालि, चूड़ी, कंगना
तुम बिन मुझको भाए ना__!
भूलूँ इक पल सांस को लेना
पर माहीं तेरी याद भुलाए ना__!!
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रोती -रोती अँखियों से
सपने भी झर- झर जावे
दर दर फिरेया की यार नज़र कित्थो आवे
की उस नु बतावे ,की हुंदा प्यार?
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"मेरे माहिया"
होकर बैठी आ तैयार करके सोलह श्रृंगार,
मेरा माही आएगा होकर घोड़ी पे सवार,
बजेगी शहनाई होगी मेरी कुड़माई,
बैठी आ में पलका बिछाई,
आँखा विच काजल माथे ते टीका,
कन्ना विच झुमके नाक विच नथनी,
हाथों विच मेहंदी पैरों विच पायल,
चेहरे ते लाली होंठो पे खुमारी तेरे प्यार वाली,
आई ए मिलन दी आज रूत अलबेली,
कढ़ के मैं घूंघट तेनु विखाण ली,
बैठी आ मैं पलका बिछाई,
होकर बैठी आ तैयार करके सोलह श्रृंगार,
हुन देर न कर आज मेरे माही,
हुन देर न कर आज मेरे माही।।-