सुन्यो...!
जदों वी चन्द्री प्यार जताउंदी ए,
पिछो दी आके गलवखनी पा लैंदी ए,
रख सिर मेरे मोड़े उत्ते आँखा बंद कर लैंदी ए,
वेख मुस्कान ओहदे बुल्ला उत्ते जिंद मेरी वी मुस्कान्दी ए।-
बस दिल के जज़्बात लिख जाता हूँ,
मिल जाता है जब आप सबका प्यार,
त... read more
सुन्यो...!
ओये झल्लीये...!
चल हुण अपनी प्रीति नूँ एक मुकाम देंदे आ,
लै के लावां चार सभना दा आशीर्वाद लेने आ।-
सुनो...!
ओये झल्ली...!
सर्द बरसात में चलो थोड़ा भीगते है,
मौसम है बसंत का दिल से दिल मिलते है,
गुलज़ार ए चमन में डाला है झूला एक,
बैठकर उसपर चलो तुम्हारे प्यार में भीगते है,
बढ़ने लगेगी जब जिस्मों में ठिठुरन,
एकदूजे को बाहों में भरकर समेटते है।-
सुनो...!
ओये झल्ली...!
तुम नदिया बन मेरे दिल के समंदर में मिल गई हो जबसे,
तेरे इश्क़ का पहरा लगा है मेरी रूह पर तबसे।-
में स्वाद अनेकों भरें है,
चख लो वक़्त रहते वरना सब
पिघलकर घुल जाएंगे।-
सुनो....!
ओये झल्ली...!
पहना कर एक नगिना तेरे हाथ में,
तेरी रूह पर नाम अपना लिखना है,
चुन लिया है तुम्हे हमसफ़र ज़िन्दगी का,
क्या तुम्हें अभी भी कोई सवाल करना है।-
सुनो...!
इन गहरे रंगों के अंदर भी झांक कर देखना कभी,
दूध सा श्वेत मिलेगा तुम्हें मन मेरा,
तुम कहती हो धूल जाते है मेरे सभी रंग तुझमें,
तो क्या कहता फिर दिल अब तेरा।-
सुनो...!
ओये झल्ली...!
किताब खुलते ही महक उठी फ़िज़ाए,
किताब में लिखा नाम जो तुम्हारा था।-
सुनो...!
खुल जाते है बंद दरवाज़े भी जब उम्मीद की एक किरण नज़र आती है,
रखना पड़ता है होंसला तब भी जब हिम्मत हमारी टूटने लग जाती है।-
वो हर मोह माया से दूर होते है,
उन्हें चाहिए होता है सिर्फ प्रेमभाव-