Pankaj Singh Chawla   (P. S. Chawla (झल्ला)✍)
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Joined 24 June 2017


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Joined 24 June 2017
28 FEB AT 18:40

सुन्यो...!
जदों वी चन्द्री प्यार जताउंदी ए,
पिछो दी आके गलवखनी पा लैंदी ए,
रख सिर मेरे मोड़े उत्ते आँखा बंद कर लैंदी ए,
वेख मुस्कान ओहदे बुल्ला उत्ते जिंद मेरी वी मुस्कान्दी ए।

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24 FEB AT 15:24

सुन्यो...!
ओये झल्लीये...!
चल हुण अपनी प्रीति नूँ एक मुकाम देंदे आ,
लै के लावां चार सभना दा आशीर्वाद लेने आ।

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21 FEB AT 14:56

सुनो...!
ओये झल्ली...!
सर्द बरसात में चलो थोड़ा भीगते है,
मौसम है बसंत का दिल से दिल मिलते है,
गुलज़ार ए चमन में डाला है झूला एक,
बैठकर उसपर चलो तुम्हारे प्यार में भीगते है,
बढ़ने लगेगी जब जिस्मों में ठिठुरन,
एकदूजे को बाहों में भरकर समेटते है।

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21 FEB AT 14:45

सुनो...!
ओये झल्ली...!
तुम नदिया बन मेरे दिल के समंदर में मिल गई हो जबसे,
तेरे इश्क़ का पहरा लगा है मेरी रूह पर तबसे।

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21 FEB AT 14:41

में स्वाद अनेकों भरें है,
चख लो वक़्त रहते वरना सब
पिघलकर घुल जाएंगे।

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20 FEB AT 15:35

सुनो....!
ओये झल्ली...!
पहना कर एक नगिना तेरे हाथ में,
तेरी रूह पर नाम अपना लिखना है,
चुन लिया है तुम्हे हमसफ़र ज़िन्दगी का,
क्या तुम्हें अभी भी कोई सवाल करना है।

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19 FEB AT 16:03

सुनो...!
इन गहरे रंगों के अंदर भी झांक कर देखना कभी,
दूध सा श्वेत मिलेगा तुम्हें मन मेरा,
तुम कहती हो धूल जाते है मेरे सभी रंग तुझमें,
तो क्या कहता फिर दिल अब तेरा।

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18 FEB AT 19:29

सुनो...!
ओये झल्ली...!
किताब खुलते ही महक उठी फ़िज़ाए,
किताब में लिखा नाम जो तुम्हारा था।

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18 FEB AT 19:21

सुनो...!
खुल जाते है बंद दरवाज़े भी जब उम्मीद की एक किरण नज़र आती है,
रखना पड़ता है होंसला तब भी जब हिम्मत हमारी टूटने लग जाती है।

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18 FEB AT 19:10

वो हर मोह माया से दूर होते है,
उन्हें चाहिए होता है सिर्फ प्रेमभाव

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