Dinesh Chaudhary   (दिनेश चौधरी)
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Joined 11 September 2020


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5 SEP AT 17:41

सूरत ए हाल देखकर हुआ तज़ब्जुब हमें भी,
नशा क्या है किसी की चाहत का,
कोई उनकी आंखों में देखे।

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5 SEP AT 16:12

मेरे करम तेरे मुताबिक,
फिर क्यों मुश्किलों से भरा मेरा नसीब।
क्या मैं मजबूर इतना हो जाऊं कि तेरा यक़ीन न करूं।
क्या खुदा तेरी भी खुदाई बड़ी अजीब है?

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4 SEP AT 23:37

मैं अपना शहर छोड़ ,तेरे शहर आया।
ऐ पर्दानशी फिर क्यों तूने चेहरा छुपाया।
था यकीं कि कोई तो होगा उस शहर में अपना,
और तूने ही बेगाना बताकर मेरे दिल को दुखाया।

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4 SEP AT 17:37

हर सफर नया है
पर मंजिल सिर्फ तुम हो।
निगाहें तुम्हें ढूंढती हैं,
तुम न जाने किन ख्यालों में गुम हो।

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4 SEP AT 17:34

नकाहत कदमों में बेशक रही हो मगर इरादों में नहीं,
हमारी दिलचस्पी सल्तनत में रही है,प्यादों में नहीं।

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4 SEP AT 17:30

काबिल न रहा तो तलबगार रहूंगा,
तेरी यादों में मुकम्मल हर बार रहूंगा।
तेरी हिफाज़त में कुर्बान किया है खुद को,
तू मत कह अपना पर मैं तो सौ बार कहूंगा।

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4 SEP AT 17:19

तलबगार था मैं तिरे दीदारे हुस्न का,
सौदेबाज़ी में हार गया मैं अपनी हर ख्वाहिश।

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4 SEP AT 16:16

ये तेरा शहर भी नाकाम रहा,
मैं तेरा होकर भी वहां आम रहा।
तूने तो कहा था कि सरताज हो तुम मिरे,
फिर क्यों तेरी सोहबत में रहकर भी बदनाम रहा।

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4 SEP AT 16:05

दौलत तू उतनी कमाल की भी नहीं,
मुझे बेगाना सा महसूस होता है तेरे होने से।

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27 AUG AT 22:55

“स्वयं सेवक बनो अपने स्वाभिमान के,
क्योंकि यही है जो आपकी पहचान है”

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