मान-सम्मान — % &
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अपना मान सम्मान बचाने के लिए
फ़क़त नकाब की ज़रूरत है क्या?
सौ गुनाह करके भी तू घुम रहा तेरे
कर्मों के हिसाब की ज़रूरत है क्या?
कभी कपड़ों पर तो कभी हँसने
बोलने पर तनकीदें किया करते हो,
जिनके बिना रह भी नहीं पाते तुम
उनसे इत्ती लाजवाब नफ़रत है क्या?
कभी मिले जो फ़ुरसत तो झाँकना
आँखों में छुपी बे-ख़्वाब हसरत है क्या? — % &-
मान सम्मान का एक नज़र वो झूठा था
सच के दिवारे गिरते रहे है फ़ैज़ की दह़र में
अहदे वफ़ाका थामा दामन मखमली का
नजरअंदाज के सिलवटों से गाफिल रह गया
उनके जज्बाती ख्वाबों के मन्नतें पूरी करते रहे
सुंकूँ की सय्यारों ने मुंजजिर से नवाजते रहे
माहौल के मुताबिक़ मौका ए मौसम माहिर होना था
मासूमियत की मद्देनजर मशहूर होना नामुमकिन था
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मातृशक्ति का एहसास कराने के लिए !
माँ दुर्गा ने धरती पर नारी रूप लिया !!
नारी ही जग जननी है श्रृष्टि का आधार है !
नारी का सदा मान-सम्मान करो !!
नारी माँ बनकर सही राह दिखाती !
हर दुख हर मुश्किल से हमें बचाती !!
पत्नी बनकर हर पल साथ निभाती !
बेटी बनकर सोए भाग्य जगाती !!
नारी घर को स्नेह से स्वर्ग बनती !
नारी से ही है ब्रह्मा की श्रृष्टि सारी !!-
दुनिया में है मान-सम्मान पैसे का
करते सभी हैं एहतराम पैसे का
इंसाँ पैसे का पुजारी जब से हुआ
ईमाँ की जगह बड़ा मक़ाम पैसे का
दफ़्तर दफ़्तर रिश्वत ख़ोरी
बना है हर बाबू ग़ुलाम पैसे का
ग़रीब शिकायत करे भी तो करे कैसे
जिधर देखो उधर है निज़ाम पैसे का
ख़ुदा बचाए हमें उस जहाँ से
जहाँ जपता है हर कोई नाम पैसे का
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-सन्तोष दौनेरिया-
मैं मान हूँ सम्मान हूँ हर घर का हर युग में काल का,
हाँ मैं एक स्त्री हूँ, एक आयना हूँ सूरदास समाज का।
मेरी चुप्पी को कायरता समझ मखौल उड़ाते हैं,
मैं लाज मर्यादा की ख़ातिर मौन ये भूल जाते हैं।
मैं जननी हूँ, नित नए अंकुरित खिलाती हूँ,
मैं करुणा की मूरत पर बदले में मैं ही धिक्कार पाती हूँ।
मेरी आबरू की चुनर अब मैल से भंग होती जा रही,
दाग़ लगे हैं इनमे कितने मैं अपने ही रंग की न रही।
मैं माँ हूँ, बेटी हूँ, बहन और बहू भी मैं ही हूँ,
मैं चरित्रहीन मैं कुलटा समाज की दोहरी मानसिकता भी मैं ही हूँ।
एक ओर काली सी पूज्य दूजी ओर साँवली रंगत पर कटु बोल,
मन की कालिमा पे सब मौन,तन की कालिमा पे हल्ला शोर?— % &-
पाने को मान सम्मान
ना खो देना अपना
आत्मसम्मान
आत्मसम्मान को
पहुंचा कर ठेस
बदल लेते हैं लोग
अपना पल पल है भेष
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मंजिल मेरे कदमों से अभी दूर बहुत है...
मगर तसल्ली ये है कि कदम मेरे साथ हैं...!!!
आप सबका बहुत बहुत तहे💐 दिल से आभार ,,
आप सभी दोस्त,
मेरी बहने,, भाई 🙏🙏
थैंक्यू इतना सम्मान देने के लिए
जो आप लोगो ने दिया है
🙏🙏🙏🙏🙏-
धरती ना बदली सूरज ना बदला बदल गया इँसान,
बदलना गलत न होता गर गिराता न अपना ईमान।
मोह माया के जाल में फँसकर बदले आचार-विचार,
जिससे जितना मतलब उतना उसका मान-सम्मान।
पहले मान-सम्मान देना हमारे संस्कारों की पहचान,
चलने लगा है अब तो बेटा बाप के आगे सीना तान।
संयुक्त परिवारों को जोड़े रखता था ये मान-सम्मान,
अब रिश्ते निभाना कर्तव्य ना रहा हो जैसे एहसान।
गाँवों में गाँव की हर लड़की होती थी बहन समान,
बहन-बेटियों की इज्ज़त नहीं दिखाते ये झूठी शान।
कैसे करुँ मैं "खराज" ऐसे लोगों का मान-सम्मान,
इतने ग़रीब पैसे के सिवा कुछ नहीं जैसे हो सामान।— % &-