के अब ना आएँगे दिन वो बहार के,
ज़िन्दगी में मिरी मौसम सौगवार के।
तुम थे तो महकता था ये घर-आंगन,
लुभाए न तुम बिन दिन ये इतवार के।
समझती थी कि दूर हो सुकून मिलेगा,
अब तन्हा तड़पती दूर हो परिवार के।
खूब तड़पाती हैरान-परेशान करती है,
ज़िन्दगी की डोर हाथ परवरदिगार के।
रोका भी न 'पुखराज' जब तू बिछड़ा,
अब हाथ में नहीं है सिवा इंतिजार के।-
तू आदत है मेरी हर धडकन में शुमार है,
तुझसे दूर होकर साँस लेना भी दुश्वार है।
थोड़े में भी गुज़ारा किया शिकायत न की,
तुझ संग ये ज़िन्दगी खुशियों की बहार है।
ग़म में भी ग़म का एहसास ना होने दिया,
तुझ संग हर पल मौसम भी ख़ुशगवार है।
जब भी टूटा तूने संभाला है हर बार मुझे,
तुझ पे ख़ुदा से ज़्यादा मुझे इख़्तियार है।
तूने जीवन को मायने दिए है "पुखराज"
तुझ बिन यूँ लगता यह जीवन बेकार है।-
तुझे याद करेंगे ताउम्र यूँ ही तुझे अपना कहेंगे,
जिंदादिली की मिशाल तू तुझे हम मखना कहेंगे।
अहल-ए-दुनिया में कौन है भला तुमसा प्यारा,
तुझसे नहीं तो किससे भला अपना दुखड़ा कहेंगे।
तुझसे बिना झिझक दिल की बातें कह देता हूँ मैं,
मेरा हर राज़ छुपाया है तूने हम तुझे दरिया कहेंगे।
तुम्हारी दोस्ती पाकर कितना दौलतमंद हो गया मैं,
तेरी दोस्ती को ख़ुदा का बख़्शा पाक रिश्ता कहेंगे।
तूने ही "पुखराज" मुझको दोस्तू कहके बुलाया है,
दोस्त को दोस्तू से बढ़कर अच्छा नाम क्या कहेंगे।-
ऐ मोहब्बत अजब-गजब तेरे ठिकाने निकले,
गली-गली तेरे सताए लोग मयख़ाने निकले।
जिसने भी की मोहब्बत फ़िर बुरा हाल हुआ,
ख़ामोश टूटें जो थे वो आशिक पुराने निकले।
निभाने का माद्दा नहीं और मोहब्बत करने चलें,
सफ़र-ए-मोहब्बत पे सब दिल बहलाने निकले।
चेहरा देखके फ़िदा हो गए पर सीरत देखी नहीं,
मोहब्बत में लें झूठ का ओढ़ना-बिछाने निकले।
रूहानी मोहब्बतें गुज़रे दौर की बातें हुई अब,
जिस्म से जिस्म तक बना सफ़र सजाने निकले।
शिकायत करते भी तो किससे करते "पुखराज"
ऐ मोहब्बत यहाँ पर तो सब तेरे दिवाने निकले।-
न जाने कितने ही सिलसिले फ़साने बन गए,
हर्फ़-दर-हर्फ किस्से तमाम बनकर ढल गए।
इत्तिफ़ाक़ न था हमारा मिलना पता तब चला,
जब बिछड़े दर्द आँखों से आँसू बन बह गए।
एक लम्हा भी ना मिला एक लम्हे के लिए,
तड़पते रहे ताउम्र सारे सपने अधूरे रह गए।
चाहत बेशुमार थी पर हालात अनुकूल ना थे,
रेत के घरौंदे बनाए थे एक दिन फ़िर ढह गए।
अच्छा होता हम मिलें ही ना होते "पुखराज"
ना मोहब्बत होती जो अपनी ज़िन्दगी कह गए।-
वक़्त बदला तो संग ये ज़माने बदल गए,
अपने बदलें ज़िन्दगी के सहारे बदल गए।
खुशियों में तो संगी-साथी खूब नज़र आए,
मुसीबतें ने घेरा क्या देखा सारे बदल गए।
बैठ के रोने वालों को कुछ हासिल न हुआ,
मेहनत की जिसने उसके सितारे बदल गए।
हुस्न-जवानी थी तो चाहने वाले थे हज़ार,
उम्र बढ़ी जवानी ढ़ली कि शरारे बदल गए।
रास्ते बदल के देखें हमने नतीजे नहीं बदलें,
नज़रिया बदलकर देखा नज़ारे बदल गए।-
ग़म खाते हैं, ग़म पीते हैं, गमों में ही बसर करते हैं,
ग़मो के बादशाह हम फटेहाल में भी सब्र करते हैं।
कोई दिन ऐसा ना गुज़रा जिस दिन मैं रोया ना हो,
हैरानी नहीं होती मिले तो ग़मो की क़दर करते हैं।
शिकायत किससे करते ग़म देने वाले मेरे अपने ही,
चालाकियाँ कर-करके वे ही ज़िन्दगी भंवर करते हैं।
ज़िन्दगी ने छीन ली हर ख़ुशी हर-बार देने से पहले,
पर हम यहाँ मुख्तसर में भी अच्छे से गुज़र करते हैं।
पत्थर हो गया हूँ मैं ग़म सहते-सहते कहें "पुखराज"
पर यह मत समझना ग़म ना मुझपे असर करते हैं।-
मुसाफ़िर का क्या ठिकाना कहाँ सुबह कहाँ रात हो,
आज़ जो है अभी ज़रूरी नहीं कल भी वही बात हो।
नहीं अंदाज़ उसे बिल्कुल कल क्या होगा कैसा होगा,
अकेला तन्हा चाह उसकी भी सफ़र पे कोई साथ हो।
हर डगर, हर मोड़ पर अलग ही रंग देखें हैं दुनिया के,
डर सताता हरपल ये कब किस घड़ी कौनसा घात हो।
थक गए सफ़र पे ही मंज़िल के निशा भी नहीं दिखते,
चाहत यही परिवार साथ हो हमारी भी ऐसी जात हो।
सफ़र ने कही का न छोड़ा तन्हा बना डाला "पुखराज"
छुटाकारा मिलें सफ़र से कब ख़ुदा की करामात हो।-
जबसे हँसकर दर्द छुपाना आ गया,
तबसे लगा मुझे भी जीना आ गया।
दर्द में ही बीते हर लम्हे ज़िन्दगी के,
आसानी हुई जब दर्द पीना आ गया।
बहुत कुछ टूटने से बच गया राहों में,
नज़रिया बदलके दर्द सीना आ गया।
विनम्रता ने आसमां सी ऊँचाई दी है,
हालात देखके सर झुकाना आ गया।
क़िरदार से खुशबू तब आई "पुखराज"
सादगी में रह जीवन बिताना आ गया।-
तू मिला है जबसे राहों पे ज़िन्दगी का हर सफ़र सुहाना हो गया,
मिल गया जैसे खुशियों का खज़ाना हर ग़म से बेगाना हो गया।-