पुखराज   (पुखराज)
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Joined 14 July 2018


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Joined 14 July 2018

दौलत नहीं शोहरत नहीं चाहूँ सुकून ज़िन्दगी में,
बाक़ी तेरी रज़ा ख़ुदा मैं तो ख़ुश हूँ तेरी बंदगी में।

जबसे वो मिले है सब कुछ अच्छा लगने लगा है,
मज़ा आ रहा है जीने में उनके संग दिल्लगी में।

वो मुस्कुराए तो संग मेरी ये ज़िन्दगी मुस्कुराती है,
मेरी तो खुशियाँ छिपीं हुई है मेरे यार की हँसी में।

फ़िक्र इँसानियत के लिए भी दिल में मेरे बनी रहें,
भूलकर भी पड़ना ना चाहूँ झूठ, मक्कारी बदी में।

छलावा दिखावा ना हो क़िरदार में कहें "पुखराज"
सादगी बनी रहें भटकूँ न इस चकाचौंध रोशनी में।

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25 APR AT 22:28

मेरी पसंद लाज़वाब है तुम ख़ुद को ही देख लो यार,
मेरे लफ़्ज़ों की रूह तुम हो मेरी ग़ज़लें पढ़ लो यार।

तुम्हें क्यों यकीं नहीं आता कि मैं सिर्फ़ तुम्हारा ही हूँ,
सीने से लगकर मेरे दिल की ये धड़कनें सुन लो यार।

दीवाना हूँ तेरा लो खुलकर आज सरे-आम कहता हूँ,
मुझको ही दुनिया की भीड़ में अब तुम चुन लो यार।

और कब तलक भला यूँ ही दूर रह तड़पाओगे मुझे,
तन्हा अकेला हूँ आ-कर अपनी बाहों में भर लो यार।

तू मिल जाए मेरी ज़िन्दगी सँवर जाए कहें "पुखराज"
संग मेरे अपनी ज़िन्दगी का हर सपना बुन लो यार।

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24 APR AT 22:29

तेरी भीगी लटों से उलझने का जी चाहता है,
तेरी बाहों में आके सिमटने का जी चाहता है।

बहुत तन्हा और अकेला हूँ अंदर से टूट हुआ,
तेरे पहलू में आके बिखरने को जी चाहता है।

जी चाहता तन-मन, ख़ुद को ही तुम्हें सौंप दूँ,
यार तेरी रूह तलक उतरने को जी चाहता है।

ख्वाहिश यहीं अब तुझ संग ही बीते ज़िन्दगी,
ये ज़िन्दगी तेरे नाम करने का जी चाहता है।

हो गया तेरे प्यार में फ़ना यार कहें "पुखराज"
तेरे प्यार में हद से गुज़रने का जी चाहता है।

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23 APR AT 20:40

सादगी में रहकर ही मुझे अपना क़िरदार निभाना है,
ज़मीं से जुड़े रहकर ही मुझको ये आसमां छूँ जाना है।

कोशिश यहीं है मेरी मानवीय गुणों को बनाए रखूँ मैं,
अपने कर्म एवं वचन से किसी का न दिल दुखाना है।

अनुशासन में जी-कर अपना जीवन आसान पाता हूँ,
मर्यादा में रहकर ही मुझे अपना ये जीवन बिताना है।

इँसानियत को ही सच्चा, सबसे बड़ा धर्म मानता हूँ मैं,
जाति-धर्म में ना पड़ इँसानियत की राह पे चलाना है।

कोशिश यह रहती मेरी सच को सच झूठ को झूठ कहूँ,
सीख-सीखकर ख़ुद को हरदम राहों में आगे बढ़ाना है।

जितना दिया मालिक ने उसमें ख़ुश हूँ कहें "पुखराज"
बीतते वक़्त के साथ ख़ुद को बेहतर इँसान बनाना है।

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22 APR AT 22:44

तुम्हारे हिस्से के आँसू मुझको ही मिल जाए यार,
मेरी सारी खुशियाँ ही तेरे होठों पे सज जाए यार।

कभी ना मिलें मज़बूर हालात ना कोई ग़म सताए,
तेरी ये ज़िन्दगी फूलों की मानिंद ख़िल जाए यार।

आँखें तेरी नम हो वो पल ज़िन्दगी कभी ना आए,
मेरी दुआओं से तेरा हर एक दर्द सिल जाए यार।

रोता हुआ इँसान भी तुम्हें देखकर तुझे मुस्कुरा दें,
तेरी सादगी देख पिघल हर सख़्त-दिल जाए यार।

जुद़ा हो-कर हम फ़िर रह ना सके कहें "पुखराज"
रूह तेरी-मेरी आपस में ऐसे घुल-मिल जाए यार।

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21 APR AT 21:59

ज़िन्दगी में खुशियों की हसरत ही रह गई,
चैन-सुकून मिला ना मशक्कत ही रह गई।

समझौते किए क़दम-क़दम पे हमने यारों,
छला गया धरी मेरी ये शराफ़त ही रह गई।

जी-तोड़ मेहनत की पर पूरा फ़ल ना मिला,
क़िस्मत ऐसी अधूरी हर इबादत ही रह गई।

औरों का अच्छा करके भी मेरी यह ज़िन्दगी,
दर्द में गुज़र गई दिल में रफ़ाक़त ही रह गई।

अब दर्द में भी दर्द नहीं होता कहें "पुखराज"
सादगी में रहूँ चाहें गुमनाम सूरत ही रह गई।

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20 APR AT 21:07

सामने तारीफों के पूल पीठ पीछे बुरा बोलते हैं,
हमसे पूछ-पूछकर ये हमारे राज़ बाहर खोलते हैं।

पैसों से बढ़कर इनके जीवन में कुछ नहीं होता है,
स्वार्थ में अंधे लोग रिश्तें-नातों को कहाँ मानते हैं।

अब तो लोग यहाँ पे ग़लत-सही भी नहीं देखते हैं,
किसी का बुरा करने से पहले अब कहां सोचते हैं।

ख़ुद के बिगड़े जीवन को सुधारने पर ध्यान नहीं,
पर कोई कुछ अच्छा करें ये हर बात पे टोकते हैं।

इसको तो अपनों का परायापन ही कहें "पुखराज"
अपने ही जब मौक़ा पा-कर हमारी जड़ें खोदते हैं।

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19 APR AT 22:26

दिल मत रोक हमारा रस्ता हमें बहुत दूर जाना है,
मुझे नेकियों के दम पर दुनिया को नज़र आना है।

अभी तो नापी है सिर्फ़ मैंने मुट्ठी भर ज़मीं ऐ दिल,
मेहनत के दम पे मुझे सपनों का आसमां पाना है।

कोई मिलकर चाहके भी भुला ना सकेगा मुझको,
मुझे सबसे सादगी में रह ऐसा याराना निभाना है।

दिखावा करना, बड़बोलापन सीखा ना अब तक,
सादगी में रहकर ही मुझको ये जीवन बिताना है।

ऐ दिल समझ भी जा मुझे अब तो कहें "पुखराज"
झूठ, मक्कारी छोड़ हरदम नेक राह पे चलाना है।

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19 APR AT 21:36

हर दिल ख़ूबसूरत है अगर मेरी नज़र से सोचो तो,
कोई परिपूर्ण नहीं इस जहाँ में अगर सच बोलो तो।

ख़ुद को ना बदल सको तो अपने तरीके तो बदलो,
लफ़्ज़ मरहम बनेंगे गर बोलने से पहले तोलो तो।

इँसान बनें रहकर भी तुम फ़रिश्ता बन सकते हो,
गर जो तुम किसी का मुसीबतों में हाथ थामो तो।

इतना भी मुश्किल नहीं जीना चाहें हालात जो हो,
वक़्त को भांप के वक़्त के साथ ख़ुद को ढालों तो।

सोच से ही होता इँसान छोटा-बड़ा कहें "पुखराज"
ख़ूबसूरत लगोगे सादगी में रहो दिखावा छोड़ो तो।

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19 APR AT 20:00

तुझे पाने की चाहत नहीं दिल में कैसे इन्कार कर दूँ,
आ भी जा जाना पास मेरे तुझे बे-शुमार प्यार कर दूँ।

यह मेरी खुशकिस्मती है जो तुझसा साथी पाया मैंने,
चाहत यहीं तेरी ये ज़िन्दगी खुशियों की बहार कर दूँ।

होंगी और भी कई तुझसे बेहतर पर इससे मुझे क्या,
मैं सिर्फ़ तेरा रहूँ तुझपे ही अपना सबकुछ वार कर दूँ।

तुझसे मिलकर ही जाना है मैंने कितना अधूरा था मैं,
तेरे नाम ही मैं यह ज़िन्दगी और हर साँस यार कर दूँ।

मिटा दूँ फासले जो है दरमिया तेरे-मेरे कहें "पुखराज"
गर प्यार करना गुनाह है तो ये गुनाह बार-बार कर दूँ।

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