जीत का स्वाद तब मिले जब हार चखी हो,
माँ का प्यार मीठा जब बाबा की मार चखी हो।।
लम्हें ज़िन्दगी के हों खट्टे मीठे तो ही मज़ा,
पर समझोगे ग़र चटपट इमली चटकार चखी हो।।
अरे भूल बैठोगे हर जाम का स्वाद मियाँ तुम,
जो सावन में बारिश की पहली बौछार चखी हो।।
दिख जाएगी मंज़िल की सही डगर यहीं कहीं,
गलत राहों की ठोकर जो तुमने कई बार चखी हो।।
करो कई जतन पर हो ना सकोगे जुदा इश्क़ से,
उनकी आँखो की नशीली मय जो ऐ यार चखी हो।।
-