किताबों का तो पता नही
पर,किसी के लिखे अल्फाजों
को पढ़ना अच्छा लगता हैं-
तुम्हारे बालों में लगा स्टिक,
भी कमाल का कहर ढाती हैं
जब भी ये बालों में लगती हैं
तुम्हारी खूबसूरती बढ़ जाती हैं
Shweta-
तिनका तिनका करके जोड़ा हैं अपनो को अपने लिए
कैसे छोड़ दु अपनो को मेरे अपने ही खुशी के लिए
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गुरु हैं तो सारा संसार रौशनी से भरा हुआ है
गुरु के बिना सारा संसार अँधेरा ही अंधेरा हैं
हर रूप में गुरू ने हमारा हाथ थामा हैं
भीड़ में भी हाथ पकड़ कर चलना सिखाया हैं
मिट्टी की मूरत बनकर गए विद्यालय
जिसे गुरु ने स्वयं सही रूप में आकार दिया हैं
शुरू हुई काले तख़्ते में स्लेट,बत्ती से लेकर
कागज़ और पेनों में हमे लिखना सिखाया हैं
हौशला की कमी तो पढ़ाई में कमी होती थी
खुद हौसला बनकर साथ खड़े रहे गुरु हैं
अंधेरो की दुनिया मे दीपक की तरह बनकर
हम शिष्यों को दुनिया मे चमकना सिखाया हैं
Shweta
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ये फूलों का बगीचा भी कितनी खूबसूरत हैं
यहां फूल और काटे दोनों होते है फूलों मे खूबसूरती
और काटो में दर्द होने के बाद भी ये बगीचा हमेशा
दूसरों को खुशियाँ और शांति ही देती हैं।
हमारा जीवन भी इसी तरह कभी फूल और काटो
की तरह ही है अंदर ही अंदर काटो सा चुभता है
फिर भी बाहर से फूलों की तरह खिल कर दूसरों
के सामने मजबूती दिखा कर सहानुभूति जताते रहते हैं।-
आज की जमाने की लड़की
सर पे मुझे दुप्पटा लगाना पसंद हैं
तुम्हारे प्यार में मुझे आज़ादी
नहीं पाबन्दी पसंद हैं-
आज एक पंछी को
आजाद करने का मन किया
लगता हैं,आज फिर कोई
किसी को संस्कारों तले
जकड़ दिया गया-
एक दिन मरने के लिए हम
कितने सालों की दूरी तय करकें आतें हैं
इस बीच न जाने हम कितनों का दिल दुखाते हैं
और कितनों को तन्हा कर जाते हैं
ज़िन्दगी की सफ़र को तय करते करते
कितने फासलों को तय कर जाते हैं
उन फासलों को तय करते करते
कितने रिश्ते में फासले आ जाते हैं
कुछ कहा नहीं जा सकता कौन
सा राह किसके लिए नया मोड़ ले आये
उसी राह को हम अपना,सा जाते हैं
करवट बदल बदल कर ज़िन्दगी जी लेते हैं
कभी चुप हो कर तो कभी बोलकर रिश्ते खो जाते हैं
बचपन से जवानी गुजर गया बिना बात सुने
बुढ़ापा आया तो हर बात को अनसुना कर जाते हैं
और जब जीवन में आख़री साँस ली जाती हैं
तो ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से छोड़ जाते हैं
Shweta
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जीवन में परिश्रम औऱ परिवर्तन,
दोनो जरूरी हैं।
परिश्रम से हम बदलतें हैं।
परिवर्तन से पुरी दुनिया बदलती हैं।-