छठ
आत्मा को मिलता प्रकृती का अंश ,
जो जीवन(प्राण) बन जाता है ।
फिर प्रकृती की गोद में पलता - बढ़ता है यह जीवन ।
प्रकृती के आलिंगन में सदैव रहता है ही यह जीवन ।
आज जीवन को प्रकृती का स्पर्श करवाते हैं ,
छठ का पावन पर्व मनाते हैं ।
निरंकार ब्रह्म के साकार सरल प्रमाण ,
सूर्य और प्रकृती का करते हैं अर्चन ,
जो करता जीवन का अर्जन ।
चार दिवस का उत्सव , नहा - खा , खरना ,
फिर 36 घंटे का निर्जला उपवास ।
तब सूर्य देव को संध्या बेला और अगली सुबह
में देते शीतल जल में खड़े हो अर्ध्य ।।-
सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ
कल से शुरू हो गया है । छठ के प्रत्येक दिन
का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है ।-
घाट-घाट सज गइनी,
सुरजू के राह तकनी
छठ मइया के सब मिलि
अरघ देवौउनी
सजि धजि सब मानुस,
महापरब मनांवय
रुचि रुचि चीजियन के
खरीदि के ले आवंय
देस विदेस से अपने
दुआरे जो आवंय
छठ मइया के सब मिलि
आशीष लइ जावंय
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उत्साह-अथाह है
भाई-बहन का प्यार है
सारा जग निछावर है
बंधन-राखी का त्योहार है |
Read my Captions?-
How to recharge yourself?
वो तो आसान है सखे🤗—
मन भर के सोओ😴
स्वप्न-देश हो आओ🌝
सूर्य को प्रणाम करो🌞
धूप से नहाओ🌻
हरी घास पर नंगे पांव टहलो👣
नदिया में डुबकी लगाओ🌊
बीते पलों की यादें टटोलो✨
अपने सखे-सखियों से
जी भर बतियाओ💛
हृदय से जो गीत फूटे
बेसुरा ही सही पर गाओ🎤
एकांत में हो आत्म-दर्शन🌼
जीवन का त्योहार मना़ओ🎉-
छठ पूजा के बारे में भी क्या कहूं ये बिहार का गौरव है हर बिहारी का अभिमान है चाहे वो देश में हो या विदेश में वहा अपनी संस्कृति की छाप छोड़ ही देता है छठ महापर्व का हर बिहारी को बड़ी बेशबरी से इंतेज़ार रहता है यही वो पर्व है जो उगते हुए सूरज और डूबते सूरज की पूजा करता है (अग्र देता है ) हर बिहारी का अभिमान होता है छठ महापर्व..........
।। जय छठी मईया जय दीनानाथ देव ।।-
जग के रक्षक, अधर्म विनाशक,
वसुदेव-देवकी के अंश अविनाशक।
गोकुल में गूँजी जब तेरी बंसी,
जड़–चेतन सब हो उठे त्रिभुवनवासी।
कंस के कारागार में जन्म लिया,
धरती का बोझ उतार लिया।
गोवर्धन पर्वत को अंगुलि पर थामा,
इन्द्र के अहंकार को क्षण में ही तोड़ा।
कालिया फण पर नर्तन रचाया,
भय के अंधकार को दूर हटाया।
गोपियों संग रास रचाकर दिखलाया,
भक्ति में समर्पण का पथ समझाया।
मथुरा से द्वारिका तक तेरी गाथा,
सत्य, धर्म और प्रेम की परिभाषा।
कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिया उपदेश,
कर्मपथ ही है जीवन का विशेष।
हे योगेश्वर, हे माधव, हे दीनानाथ,
तेरे बिना अधूरा है जीवन का हर साथ।
सदियों से गूँज रही तेरी अमर वाणी,
"धर्म की रक्षा हेतु मैं आता हूँ पुनः-पुनः" यही है कहानी ।-
छठ पवन क गीत सुनियो यो आहाँ..
तुरन्ते कानन में जाय क आत्मा म बस जायत..-
शिव पंचायत में हो रहा है आज
"अश्रु जलाभिषेक"
शिव,
तुम अपना
तांडव नृत्य
चरम कर देना
अंततः
त्रिनेत्र से
ब्रम्हर्जयोति बरसाना
आज
"तांडव नृत्य" का
"जन्म पर्व" जो है
-Falguni Shah ©
# महाशिवरात्रि पर्व -२०२१
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