जय जय गिरिबरराज किशोरी
जय महेस मुख चंद चकोरी ,
जय गजबदन षडानन माता
जगत जननि दामिनि दुति गाता
नहिं तव आदि मध्य अवसाना
अमित प्रभाउ बेदु नहीं जाना
भव भव विभव पराभव कारिनि
बिस्व बिमोहिनी स्वबस बिहारिनी
सेवत सोई सुलभ फल चारी
बरदायनी पुरारि पिआरि
देवि पूजि पद कमल तुम्हारे
सुर नर मुनि सब होहि सुखारे
मोर मनोरथ जानहु निकें
बसहु सदा उर पुर सबही कें
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बेटी होकर भी सहारा मात- पिता का बन सकूँ, ऐसा कर दे माँ!
सद्बुद्धी, उच्च शिक्षा, अच्छी आय-आजीविका का वर दे माँ!
योग्य ‘वर’ मिल जाए तो, सुखमय जीवन सुनिश्चित हो!
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महागौरीति चाष्टमम्
अयि दुर्गामयि अष्टमस्वरुपिणीगौरवर्णीय अष्टायुमहागौरीमाई।
स्मरणचित्आवाह्नंअहम्पूजितंसोमंचक्रम्अमोघंच्सद्यःदायिनी।।-
शुभ अष्टमी
महागौरीति चाष्टमम्
सर्वपाप विनाशिनी शोक संताप हारिणी
अष्टवर्षा गौरवर्णीय महागौरी नमोस्तुते..-
अष्टवर्षा भवेद् गौरी
अष्टम शक्ति महागौरी,
शंख चंद्र और कुंद पुष्प सी
उपमा तेरे गौर वर्ण की,
आसीन वृषभ पर होती तुम
सुवसानी शांत मूर्ति तुम,
श्वेत वस्त्र श्रृंगार श्वेत
मन को अद्भुत आनंद देत,
चार भुजाएं तुम्हरी देवी
अभय और वर मुद्रा लेती,
डमरू त्रिशूल धारण करती
सारे कल्मष तुम धो देती,
कर घोर तपस्या शिव को पाया
गौर तेज फिर देह समाया,
पूर्वजन्म के पाप मिटाती
भर झोली आशीष लुटाती,
शिववामांगी उमा भगवती
नित गाए हम तेरी स्तुति।।
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श्वेतवृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचिः,
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा।।
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जय महागौरी ,जय जगत भवानी,
शिव संग कैलाश विराजें,शक्तिदायिनी!
जग तो छल-प्रपंच की बहती धारा,
अहं बोले तो,घुप्प अंधेरा छाया।।
ज्ञान, सत्कर्म की ज्योति जला दो,
जग में पसरे इस तम को मिटा दो,
ओ महामाया! तुम ही जगमाता!
तुम दुखहरनी ,सुखकरनी माता।।
कैलाशपति की प्यारी तुम हो,
गौरी रूप पापनाशिनी हो,
जग में खींचो सत्कर्म का खाका,
"विषाणु मरेंगे" कर जाओ ये वादा!!!
सुधा सक्सेना (पाक रूह)
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त्रिशूल धारणी सिंहवाहिनी
दात्रि कष्ट निवारिणि
शीश नवाएं विनती करें
करुणामई मां वरदायनी
हे मां महागौरी जगदम्बे
चरण शरण प्रदायिनी-
गणपति लड्डू सी ये
महादेव डमरू सी,
महागौरी श्रृंगार,
कार्तिकेय मयूर सी प्रिय
ये वर्षा,
इस ग्रीष्म में
और फ़िर इसमें भीगती
इंद्रधनुष सी तुम .!-
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां महागौरी सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करें-
माँ दुर्गा का आठवा स्वरूप
माँ महागौरी 🙏🙏🙏
नवरात्री के आंठवे दिन महागौरी की
उपासना का विधान है।
इनकी उपासना से भक्तो के सभी
पाप धुल जाते है और सभी पापो का भी
विनाश हो जाता है।
भविष्य मे पाप-संताप दैन्य दुःख
कभी पास नहीं आते।
अष्ठमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के
लिए देवी माँ को चुनरी भेंट करती है।-