वो मुझे भुला रही है मशरुफ रह कर
यार, मेरा तो काम बिगड़ जाता है।-
कुछ मशरूफ हों गये तुम
वक्त के साथ.............
और हम भी मगरूर हों गये
बात इतनी सी रही......
अब ये इतवार, इतवार ना रहा !-
"वक़्त हो अगर तो तकल्लुफ करके मिलने आ जाना,
मैं ना मिलूं तो कोई खत मेरे नाम का रखकर चले जाना।
एहसास है कि तुम कुछ मशरूफ हो जिंदगी की उलझनों में,
मैं समझता तो हूं ▪▪▪▪▪
पर मुझे समझाने ही आ जाना।"-
माना कि वो मसरूफ़ हैं उनकी दुनिया में
इस बात का हमे गम नहीं
अरे हम भी तो अपनी दुनिया में
मसरूफ़ कोई कम नहीं-
मशगूल हूँ ,मशरूफ हूँ ,'उन' में इस कदर मैं आजकल
के जब झाँकता हूँ खुद में तो भी मुझे 'मैं' नहीं दिखता !
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करते हो नज़रअंदाज़ अकसर
मशरूफ़ ए बहाना दे कर
हम जो रूठ जाएं गर
तो कहो
उल्फ़त ए बहाना क्या दोगे...!!-
बस इतना याद रखना तुम
तेरी ये मसरूफ सी जिंदगी से
किसी दिन फुर्सत देखकर निकल जाएंगे हम
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फिर तस्वीर देख ली आज उसकी,
फिर जख्म एक बार हरा हुआ है,
जिसके यादों से बेखबर रहने के लिए,
खुदको बिन वजह भी मशरूफ रखती थी।😐-