इश्क़ लिखकर रात काटी, इश्क़ पढ़ कर रात काटी
इश्क़ जी कर रात काटी, इश्क़ मर कर रात काटी-
आहिस्ता आहिस्ता सब बर्बाद होतें हैं,
कोई बिछड़ने से पहले मर नही जाता
बस अड्डे पर रात तलक ठहरता हूँ मै,
आखिरी बस के पहले घर नही जाता।-
मौत आने से पहले ग़म अगर मर जाते
इस बात की खुशी में हम खुशी-खुशी मर जाते-
रटी हुई सैकड़ो शिकायतें भूल जाते है,
तुम्हें देखते ही हम तुमपर मर जाते है-
कोई शब्दों पर मरती है, कोई कलम पर मरती है
ग़लतफ़हमी हमें हुई, कि वो हम पर मरती है-
उन्हें प्यार में धोखा मिला किसीं और से,
और जनाजा उन्होंने मेरी दोस्ती का उठाया।-
क्या खूब मेरे क़त्ल का तरीका तूने
इजाद किया
मर जाऊं हिचकियों से इस कदर तूने याद किया-
बिछड़ने के खौफ से मैं बेशक डर जाऊंगा
पर ऐसा थोड़ी है कि बिछडूंगा तो मर जाऊंगा-
आँसू आँख में छुपाते हुए शहर जाते हैं
पास देखकर भी ख़ुशी गुजर जाते हैं
कितना उठाते हैं दर्द-व-गम परदेसियों से पूछो
इतने समझौतों पर जीते हैं कि मर जाते हैं-
फलां के घर का काँच, पुराना हो गया है,
मैं मर गया हूँ, उन्हें खबर नहीं है ।-