कोई ताबीज़ बांधूं या मन्नत मांगू,
इश्क़ की बुरी नज़र है मुझ पर।-
तू सात समंदर पार है, हद सरहद से भी तो उस पार है, _राज सोनी
अब तो तू आ भी जा दिलबर, मुद्दत से तेरा इंतजार है!
यहां भोर तुमसे पहले होती है, साँझ पहले आ जाती है,
आती नहीं तो बस एक तू, सपनों में ही जी बहलाती है!
तारे जब-जब भी टूटे है, तब-तब मन्नत तेरी मैने मांगी है,
पर इस तारे की राह तकते, गिन-गिन के दिन गुजारे है!
संदेश मेघदूत से भेजा है जो मेरा हाल-ए-दिल बताता है,
देस-दिसावर के लोग पराये, मेरा आँगन तुम्हे बुलाता है!
अलसुबह काग छत पर, चिड़िया आँगन में चहचहाती है
कुदरत ने दे दिए इशारे, बस तेरा आना ही अब बाकी है!
खत प्यार का तुमको लिखना है, फूल गुलाब का देना है,
मैं करना चाहूं ऐसे इजहार, क्या तुमको इकरार करना है!
तुमको नई पहचान देनी है, एक प्यार का नाम सोचा है,
चुटकी भर सिंदूर मांग से अब एक दूजे का होना ही है!
अब के बरस बरसना है, अपना पहला पहला सावन है,
बाकी तो रब ही जाने पर तेरा "राज" से मिलने आना है!-
कौन कहता है की हमने, मन्नत नहीं माँगी,
खुदा से तुझको माँगा था, जन्नत नहीं माँगी!
भीगना था हमें तेरी मोहब्बत की बारिश में,
चाही सावन की घटा, खिजाँ तो नहीं माँगी!
चाहते थे, मिल जाए तेरे दिल में एक कोना,
करने को हुकूमत कोई रियासत नहीं माँगी!
तेरे सामने ही कर पाये हम इश्क की पैरवी,
दी प्यार की अर्जी कोई वकालत नहीं माँगी!
तेरे साथ ही जियुं और तेरे साथ ही मरूं मैं,
हर हाल खुश रहूँ, शानो-शौकत नहीं माँगी!
मुझको मिल जायें तेरी पल भर की मोहब्बत,
कुछ साँसे मिले उधार, उम्र तमाम नही माँगी!
मिलाया रब ने हमें कुछ तो सोच कर "राज"
माँगी थी कायनात, क़यामत तो नहीं माँगी! _राज सोनी
_राज सोनी-
मत पूछ लख्त-ए-जिगर मुझ को क्या क्या चाहिए,
मुझे जीने के लिए बस सिर्फ और सिर्फ तुम चाहिए।
कहने को है दुनियां हमारी और सब अपने से है मगर,
थोड़ी मन्नत, थोड़ी जन्नत बाकी तेरी कायनात चाहिए!
पड़े जरूरत तो करे याद सब अपनी जरूरत को मगर,
थोड़ी शरारत, थोड़ी हरारत, बाकी तेरी इबारत चाहिए।
रह कर हम अपनो की बीच तो भी अकेले से होते है मगर,
थोड़ी जिंदगी, थोड़ी बंदगी, बाकी तेरी नुमाइंदगी चाहिए।
प्यार जताने वाले भी कम नहीं सब अपने मतलब से मगर,
थोड़ी कशिश, थोड़ी ख्वाहिश, बाकी तेरे एहसास चाहिए!
होने को तो वक़्ती तौर के दोस्त अहबाब है मतलब के मगर,
थोड़ी सोहबत, थोड़ी इजाजत, बाकी तेरी मोहब्बत चाहिए।
करते गुफ्तगू दिलकश अंदाज़ में कुछ हासिल करने को मगर,
थोड़ी सदाकत, थोड़ी लियाकत, बाकी तेरी नजाकत चाहिए।
सब के अपने अपने "राज" है, खुद को अव्वल बतलाते है मगर, _राज सोनी
थोड़ी खासियत, थोड़ी कैफियत बाकी तेरी शख्सियत चाहिए।-
खूबसूरत चाहत है मेरे दुश्मनो की,कि मैं चमकदार हो जाऊं
ज़मीं का ना रहूँ, आसमाँ का तारा हो जाऊं-
कभी शिव-पार्वती से तुझे माँगू लेती हूँ....,
हाँ,मैं दरगाह में मन्नत का धागा भी बाँध देती हूँ!!!-
ऐसा क्या बोलूं की मेरे अल्फाज़ तेरे दिल को छू जाएं,
ऐसा किससे दुआ माँगू की तू थोड़ा सा मेरा भी हो जाए,
ऐसा किससे फरियाद करूँ की दो पल के लिये ही सही,
पर तुझसे मुलाकात की मेरी फरियाद मुकम्मल हो जाए,
तूझे पाना नहीं बल्कि तेरा हो जाना मन्नत है मेरी,
ऐसा क्या कर दूँ की मेरी ये मन्नत, ये दुआ क़ुबूल हो जाए....!
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