चौराहे तिरंगे बेचती
अम्मा की लाठी हूँ
मेरा 'कलाम' सा मज़हब
मैं हिन्दुस्तान की माटी हूँ
(Read complete poetry in caption)-
दिल बडा पागल है जनाब इसे रोक नहीं सकते
जाने वाले अपने होते है उसे छोड़ नहीं सकते !!-
फूलों से उनकी मुस्कराहट उधार मांगी है ,
मेरी मनु के मुस्कराने से कलियाँ खिलें ।।
कभी आँसू न आये उसकी आँखों में ,
उसे जीवन में इतनी खुशियाँ मिलें ।।-
मैने माँ का आँचल देखा देखी माँ की ममता
जग मे सुन्दर दुजा ना देखा मैने माँ के जैसा
माँ मेरी रानी माँ महारानी माँ ही मेरी जननी
माँ मेरी कविता माँ गजल माँ ही मेरी कहानी
माँ मेरी बाईबल माँ कुरान माँ ही मेरी गीता
माँ ने मुझको नौ महिने अपने खुन से सिंचा
माँ मेरी मंदिर माँ मेरी मुरत माँ मेरा भगवान
माँ मेरी कौशल्या माँ यशोदा माँ ही मेरी शान
माँ मेरी धरती माँ मेरी अम्बर माँ मेरा ब्रह्मांड
माँ मेरी चंदा माँ मेरी सुरज माँ मेरा अभिमान
माँ मेरी कलम माँ कागज माँ ही मेरी रचना
माँ मेरी वेद माँ पुराण माँ ही मेरी रामायण
माँ मेरी महान माँ मेरा जहान माँ ही वरदान
माँ मेरी मुक्ति माँ मेरी भक्ति माँ ही जीवनदान
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मैं मनु रूप और तुम शतरूपा हो,
मैं ओज स्वरूप तुम अनुकम्पा हो !!
ब्रह्म देह से उत्पन्न है हम दोनो ,
मैं जगदीश अंश तुम जगदम्बा हो !!-
क्या लिखूं इनके बारे में शब्द नही हैं मेरे पास..
बस ये जान लीजिए...
इनका यूं छोड़ के जाना, सच में
आज भी खलता हैं दिल को !-
तर्ज - मेरे हाथो में नौ नौ चूडिय़ां हैं .....
इस गाने की तरह यह गीत गाने की कोशिश करो
अनुशीर्षक में पढें...-
वो रूठी है मुझे मनाना नही आता
वो बैचैन है मुझे भी चैन नही आता
वो हँसती है मुझे बहुत अच्छी लगती
वो रोती है मुझे चुप कराना नही आता
वो गुमसुम है मुझे बाते बनाना नही आता
वो इशारा करती है मुझे समझना नही आता
वो मुझे देखती है मुझे नजर मिलाना नही आता
वो चलती है उसकी पाजेब छमछम करती है
वो बाल सुखाती काले बादल घिर आते है
वो छत पर होती है तो चाँद सी लगती है
वो चहकती है तो चिडिया सी लगती है
वो गाती है तब कोयल बन जाती है
वो मेरा अनदेखा सा अहसास है
वो मेरे आज भी आस पास है
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दुनिया बदल रही हैं लोग बदल रहे हैं
इस बदलाव को देख रोग बदल रहे हैं
किसी को ऐसा रोग हैं किसी को वैसा रोग हैं
किसी को कैसा रोग हैं किसी को पैसा रोग हैं
कोई कहता शेषनाग के फण पर धरती टिकी हैं
कोई कहता धर्म कर्म के कण पर धरती टिकी हैं
मगर जब से मैने होश सँभाला तो यही जाना कि
ये धरती दुनिया लोग दौलत के नाम पर बिकी हैं
दौलत हैं तो रिश्ते नाते बनाने लोग खुद चले आते हैं
दौलत नही तो रिश्ते नाते खुद व खुद दूर चले जाते हैं-