शायर का दिल   (Writer Aman)
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Joined 16 December 2021


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इन सरकारों की सरकारी में
अमीर तो अमीरी में अकड़ रहा
पर मजदूरों की मजदूरी
रफ्तार जरा ना पकड़ रहा

ये सत्य है और सरकार को इस
पर ध्यान देना चाहिए ।

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तेरे नैनो के इशारों पे,
कुछ आशिक आह भर बैठे
यूं बैठ गए हारकर कुछ दिल
कुछ भारी गुनाह कर बैठे

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इसलिए सफर करते रहते हैं
लोग उम्र भर

हां तुमको भी
हां हमको भी
इस खुशी को भी
इस ग़म को भी

एक दिन यहां से जाना हैं
फिर क्यूं झगड़ते रहते हैं
सब लोग उम्र भर

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दिखाना जरूरी था उन्हे
और जमाने को
क्योंकि किसी को बड़ा गुरूर था
आशिकी आजमाने को

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कोठे का भले संसार बुरा
हैं सबसे बलात्कार बुरा
मेरे बातो पर ना ताली दो...
मै मयखाने हो आया हूं
तुम भले ही मुझको गाली दो...

अंदर से पानी तार तार
बाहर से दिखाता संस्कार
मै खेलता दोहरा खेल नहीं....
दो नशे में सच तो बोलता हूं
हैं बोतल भी मेरी रखेल नहीं....

ओय रब का कोई उपाय लगे
सारे दिल की तुझको हाय लगे
तू धूर्तों में भी तो सबसे,
बड़ा धूरता है....

तेरे हीं बहन बेटी तुझसे क्यूं
सहमी सहमी रहती है...
तू घूरता है यहीं क्रूरता है

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चल फिर से कोशिश करते हैं

कोई हलचल ना सुगबुगाहट हो
किसी अपने को भी ना आहट हो
बेशक खामोश होकर हीं
एक और हुंकार भरते हैं
चल फिर से कोशिश करते हैं

जो जिद जीवन को है मोड़ता
आजीवन प्रयत्न न छोड़ता
बन ऐसा निरंतर बूंद तुम
जो पत्थर को है एक दिन तोड़ता
यूं हीं ना मेरे यार निखरते हैं
चल फिर से कोशिश करते हैं

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मेरा दोस्त बोलता है....😂

मैने बॉडी भी बना ली
पैसे भी कमाता हूं
लेकिन.... जब लड़कियां छेड़ने जाता हूं
तो पापा के लाठी के डर से,
छेड़ने से पहले हीं...
होश में आ जाता हूं 😂😂

तो मै पूछता हूं ऐसा क्यूं..... तो बोलता है

मैं गलती करूंगा
तो पापा मुझे लाठी मारेंगे
और पापा को दुनिया ताने मारेगी 😭

मै पापा की लाठी सह सकता हूं पर ताने पापा नहीं सह पाएंगे 😭

इसलिए सबकी भलाई इसी में है कि ऐसी गलती हीं ना करूं।

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जब सामने बैठी रहती हो
रग रग में बस तुम बहती हो
जुल्फों को यार गिरा कातिल
आंखों से जब कुछ कहती हो

तो लगता है तेरे लिए जिया बहत
पूरा मरके नहीं देखा....

देखा हैं बहत मैने तुमको
पर जब भी देखूं तो ये लगता है
के अभी भी तुम्हें मैने कभी
जी भर के नहीं देखा

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यूं तूं अपना भाग्य बदल.....

ख्वाब देख यूं सपने पूरा
कभी हुआ नहीं करते
मंजिल पे पहुंचना हैं तो रास्तों पे
चलना बस तुम संभल संभल

शिद्दत से चाहों मिला देगी
सफर,मंजिल की मीत होती है

जितने की चाह रखने वाले
हमेशा जीतते नहीं हैं...
जितने का निश्चय करनेवालो की तो
हमेशा जीत होती हैं

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संभलते जाना है
आंसुओं से लड़ते लड़ते
खुद को बदलते जाना है

रोकेगी दुनियां बहत पांव तेरे डगमगाएंगे
फूलों की आशा ना कर कांटे चुभते जायेंगे
सूरज सा हर दिन उगते हर दिन
ढलते जाना है
सोने सा चमकना हैं तो तुम्हें
पिघलते जाना है

तुम कैसे हो हैं किसे पड़ी
तुम्हे रोकेगी तेरी कठिन घड़ी
आग बन सपनों के पीछे तुम्हे तो
जलते जाना है
चलते जाना है तुम्हें खुद को
बदलते जाना है

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