सादगी गहना हैं ये सभी जानते हैं
इसीलिए इसको वीराने में टांगते हैं
डर लगता हैं सभी को चोरी होने से
इसीलिए पहल परवानो से मांगते हैं-
जिंदगी ने कहा मुझे ,के अब बुझे हम अब बुझे
आकाश में हलचल हो रही हैं ,धरती ढां ढां कर रो रही हैं
क्योंकि उसकी दो बेटियां ,बेरहमी से नंगी हो रही हैं
ऐ घनप्रिया घन का प्रहार करो ,दुष्टों का नरसंहार करो
ये रज कण दूषित कर रहे हैं ,ये पाप को पोषित कर रहे हैं
नृप नेत्र पर हाथ धर रहे हैं ,विद्रोहियों से डर रहे हैं
ऐसे में कलम चलाकर हम ,तेरे दर पर सत्संग कर रहे हैं
तू जल्दी आ तू जल्दी आ ,हे दामिनी रानी जल्दी आ
तू जल्दी खा तू जल्दी खा ,इन दुष्टों को तू जल्दी खा-
उजाले का सर्वश्रेष्ठ पर्यायवाची मां बाप भी हैं
एक विभा लिए हुए हैं मां एक प्रभा लिए हुए हैं मां
एक आभा लिए हुए हैं मां एक शोभा लिए हुए हैं मां
एक दीप्ति लिए हुए हैं मां एक ज्योति लिए हुए हैं मां
एक दीया लिए हुए हैं मां एक रोशनी लिए हुए हैं मां
ऐ चांदनी ऐ दीपिका सुन ऐसी हैं री म्हारी प्यारी मां-
कांति
कलम कांति करती शांति विचलित मन के भीतर
वरना सबको दिखाई देते तीतर के दो आगे तीतर
तीतर के दो पीछे तीतर समझे हमारी बात मित्रर
अब भी गर समझे नही तो हो जाओ आप तितर-
कांति
उजाले के पर्यायवाची तो रटाती थी हमें चाची
लेकिन हम सब भुल भाल कर लिखते थे कांति
अब ये ना पूछना आप कि कौन थी मनु ये कांति
वरना झूठ कहेंगे हम के ये आभा विभा प्रभा
ज्योति दीप्ति शोभा चांदनी रोशनी दीपिका
दीया कुमारी से भी कई गुणा अधिक हमे भाति-
हरियाणवी लोग लुगाई
रात अबूझ पहेली बूझी सैंया जी ने मेरे स
क्यों औरत प्यार कर स ऐरे गैरे नत्थू खैरे स
पहले तो सकुचाईं मैं फिर सोची नत्थू छेडे स
इतने में नत्थू बोल पड़ा ना हल होगी य तेरे स-
हैं रात गुमसुम क्यों हैं बात गुमसुम क्यों
ये प्रश्न किया हमने अम्बर के अंजुम को
अंजुम तो चुप रहा पर चंद्रमा बोल पडा
पहले मांग में भरो मनु तुम कुमकुम को-
कह देंगे
आज वो सुहागरात में बिजी होगी
मन ही मन मेरे ऊपर खिजी होगी
हम कर भी क्या सकते हैं बेरोजगार
हमारे लिए विधि की यही मर्जी होगी-
कभी मैं बात ना करुं तो तुम बात करना
कभी मैं चित्त ना हरुं तो तुम चित्त हरना
यही दो सौगातें बस अपने पल्लू में धरना
ताकि हमें न घेर सके कोई किन्तु वरना
कभी मैं हार ना मानूं तो तुम हार मानना
कभी मैं जीत ना मानूं तो तुम जीत मानना
इन दो आभूषणों का कभी देना दान ना
कभी दे भी दो किसी को तो करना गान ना
कभी मैं झूठ बोलूं तो तुम झूठ सहना
कभी मैं सच बोलूं तो तुम सच सहना
मेरे बाद तुम भी प्रिये यह बात कहना
परम प्रेम के वस्त्र इस बात को पहना-
इधर उधर न मटका करो ,गली गली न भटका करो
नाज़ो नखरे झटका करो ,काम काज गटका करो
पाठ पूजन छठ का करो ,स्वांग चरित्र नट का करो
बर्तन भांडे खटका करो ,गाय गोबर पटका करो
पठन पाठन में अटका करो ,स्व गलती पे सटका करो
ज्ञान हो तभी चटका करो ,अज्ञान हो तब ठठका करो
देकर चप्पल घुसा लातें ,सदा कहती मेरी माते
याद रखो ये मेरी बातें ,याद रखो ये मेरी बातें-