हमको तुम्हारी आँख के काजल पे यकीं है ,
रिमझिम बरस रहे हर एक बादल पे यकीं है ।
नज़रें तुम्हारी हमको हैं पागल समझ रही ,
एक तेरे सिवा सबको इस पागल पे यक़ी है ।-
मां झूठ भी कितनी सफाई से बोलती है ।
Yq join 06 Dec 2017... read more
अब हर कोई रंगों की चाह नहीं रखता,
तितली के पंखों की परवाह नहीं रखता ।
मंजिल पर सबकी निगाह होती है लेकिन ,
हर कोई रास्तों पर निगाह नहीं रखता ।-
मेरी आंखों में एक ख़्वाब दे गया ,
वो शख़्स जो मुझे गुलाब दे गया ।
शुक्र है ख़त पिताजी को नहीं मिला ,
जब कल वो मेरी किताब दे गया ।-
सूरज की तरह गर्म ,तारों की तरह झिलमिल होना पड़ता है,
बच्चों की तरक्की के लिए बाप को , पत्थर दिल होना पड़ता है ।-
घर में अपने मेहमाँ बनकर के आने लगे ,
लड़के जब से नौकरी का बोझ उठाने लगे ।-
बुनियाद दरक जाने से मकां छत के क़ाबिल नहीं रहते ,
जैसे गिरे हुए पत्ते फिर से दरख़्त के क़ाबिल नहीं रहते।
एतबार तो महज़ एक , कांच की हंडियां है मेरे दोस्त ,
बे-वफा शख़्स दोबारा मुहब्बत के क़ाबिल नहीं है रहते।
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उसको राधा और खुद को हमने वासुदेव कर रखा है
उसका नाम किसी और ही नाम से सेव कर रखा है ।-
एक बार भी नहीं सोचना किसी को आज़माने से पहले ,
कम-स-कम सौ बार सोचना किसी का दिल दुःखाने से पहले ।-
(विश्व जनसंख्या दिवस)
सौ झूठों की बस्ती में बस एक सच्चा ही काफ़ी है ,
उजड़ी पक्की राहों से रास्ता कच्चा ही काफ़ी है ।
यूं तो कौरव सौ थे पर ..सत्य -मार्ग से पथ भ्रष्ट थे ,
धुव्र-प्रहलाद सा हो यदि तो एक बच्चा ही काफ़ी है ।
(Dharmendra Uniyal)-