मैं मनमौजी
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सबकी सोच कर क्या पा लूंगी
अपना जो है उसे भी खो दूंगी
मैं मनमौजी सुनती बस दिल की-
...पन्ने महकने लगे हैं तेरे तस्वीर की पनाह पाकर,,
लोग कहते हैं के मुहब्बत हो गई है हमें किताबें से.!!-
मैं मनमौजी अकेली रहा में चलती चली
मैं मनमौजी अकेली राह में चलती चली
मुझे कोई ना मिला
और ना मैं किसी से मिली
यह बात अजीब है
या है कोई सिलसिला
मैं अकेली रहा में चलती चली
इस दुनिया में मैं आई अकेली
ना लाई शोहरत और ना ही ढेला
फिर इस दुनिया की भीड़ में क्यों हूं मैं अकेली?
मैं अकेली रहा में चलती चली
मेरा कोई साथी नहीं है
और ना ही है कोई हमसफ़र
इस दुनिया की भीड़ में खोजती हूं
मैं एक रह गुजर, पर कोई मिलता
ही नहीं मुझ मेरे साथ चलने वाला
मैं मनमौजी मैं रहा में चलती चली
जब मेरे पास दौलत थी और शोहरत थी
तो एक पल के लिए मुझे किसी ने अकेले ना छोड़ा
आज ऐसा दिन आ चला
मैं ढूंढती हूं साथी पर मुझे कोई ना मिला
राहों में मैं अकेली हूं
मैं मनमौजी मैं अकेली चलती चली
मैं मनमौजी मैं अकेली चलती चली।
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लड़की
तु कहाँ attitude और ego
रखने वाला बंदा
मैं सबसे बात करने वाली लड़की
और तु चुप बैठ कर रहने वाला बंदा।।
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