आइए, पढ़ते हैं वह मज़ेदार किस्सा, जब भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और तत्कालीन विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने शेरो-शायरी में एक दूसरे को जवाब दिया
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सोच में तेरे तलवार सी धार थी।
अर्थ की नीति तेरी असरदार थी।
हमने बचपन से ये ही सुना है सदा,
व्यक्ति ज्ञानी जो होता है कम बोलता।
मौन रह के बड़े काम करता रहा।
देश ऊंचाइयों को यूँ छूता रहा।
नाम जब अर्थ की नीति का आएगा।
बाद चाणक्य के तेरा ही आएगा।
देश की सोच को तू समझता रहा।
फायदा देश को यूँ पहुँचता रहा।-
लकीरे चढती गई
ताज सजते गए
वो चलता रहा,
काफिले बनते गए
हाथ मे जान थी
आंखों मे पहचान थी
अंधेरे मे भी सब राहे,
उसी से रोशनदान थी
वो चुप रहा
शोर होते गए
दंगे थमते गए
इंसान बढते गए-
एक pm ऐसे भी थे,,जिनके पूरे परिवार को विभाजन में मार डाला गया लेकिन इसका जिक्र शायद ही आपने भाषणों में सुना हो,,,
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कुछ लोग आज dr.मनमोहन सिंह को
ट्रॉल कर रहे हैं..
जब पूरा वर्ल्ड मंदी से ग्रस्त था
तब भी भारत की अर्थव्यवस्था बिल्कुल ना हिली थी..
ऐसे ही एक बेहतरीन अर्थशास्त्री नहीं कहा जाता उनको... !-
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री
पूर्व RBI गवर्नर
एक महान अर्थशास्त्री
को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई-
अमीर खान कि लड़की के साथ कोई
करीबी ही फिरकी लिया बे, 🤫🤔
कोनऊ रॉंग नंबर लग गिया होयगा 🤫👈-
डॉ मनमोहन सिंह जी : विनम्रता और सरलता का पर्याय
विनम्र सादगी की मूरत वो जमीन पर रहने वाले।
नामानुरूप मोहक व्यक्तित्व कितने सीधे और निराले ।।
मौन रहे हरदम चाहे पीने पड़े अपमान के प्याले ।
कृतज्ञता थी भरी कूटकर चले लिए पग में छाले।।
अद्भुत ज्ञानी सबसे ज्यादा पढ़े लिखे वो प्रधानमंत्री।
आर्थिक सुधार करने वाले देश के ऐसे वित्त मंत्री ।।
ऐसा कोई नहीं बड़ा पद जिसने न हो शोभा पाई।
सलाहकार प्रधानमंत्री, गवर्नर बने आरबीआई।।
यूजीसी के चेयरमैन और अर्थशास्त्र के वो प्रोफेसर ।
कैंब्रिज से की पीएचडी, ऑक्सफोर्ड से पोस्ट डाॅक्टोरल।।
कैंब्रिज में एडम स्मिथ, सम्मान देश का पद्म विभूषण ।
सर्वोच्च स्थान देश का पाया, बिना लड़े ही कोई रण।।
भारत के सच्चे सपूत का जाना हुआ, ज्यों क्षति विराट।
हम सब सच्चे देशभक्तों के, लिए हुआ जैसे आघात ।।
देश की मिट्टी याद रखेगी, आपको सभी योगदानों में ।
ईमानदार छवि आपकी, गणना होगी विद्वानों में।।
-डॉ नीलू शुक्ला समीर
भोपाल, मध्यप्रदेश-
विडम्बना देखिए कि आर्थिक सुधारों को आरम्भ करने का श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री को ना देकर तत्कालीन वित्तमंत्री को दे दिया गया और हम आज भी यही पढ़ते और लिखते हैं..! सब संचार माध्यमों पर गांधी परिवार की कैसी पकड़ रही होगी, जो ऐसा चित्र बना दिया गया..!
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जो बेफिजूल या बेफालतू बोलता नहीं पर,
जिसका काम हमेशा प्रखरता से बोलता था,
अर्थशास्त्र के जादुगर डॉक्टर मनमोहन सिंह।-