QUOTES ON #मजहब

#मजहब quotes

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5 FEB 2018 AT 2:10

मेरे मज़हब को जब चाहो, तुम आकर नंगा कर देना ।
थोड़ा और वोट चाहिए हो तो फिर एक दंगा कर देना ।

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20 DEC 2020 AT 13:40

मुफ़्लिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत
अब खुल के मज़ारों पे ये एलान किया जाए

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2 JAN 2018 AT 21:00

सियासत की घंटी बजी,
अपने मुल्क में मैं पहचान खो गया ।
कल तक तो दोस्त था मैं,
आज मैं फिर एक 'मुसलमान' हो गया ।

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23 MAR 2019 AT 9:36

कुछ अपने हैं बहुत पराए भी हैं,
कुछ सपने हैं बहुत बताए भी हैं।
बस इतना हासिल हुआ मजहब में,
कुछ दफने हैं बहुत चिताएँ भी हैं।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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15 JAN 2018 AT 8:30

कोई बोलता है, तुम हिन्दू बन जाओ।
कोई बोलता है, मुसलमान बन जाओ।
कुछ ऐसा कर जाओ इस जिंदगी में कि,
हर मज़हब की तुम "पहचान" बन जाओ।

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18 APR 2020 AT 18:26

आज चाँद से इजाजत मांगी है और तुम्हें बुलाया है,
इंसानो की जमीं पर मज़हब की दीवारें बहुत है..

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14 SEP 2019 AT 1:12

वतन की नीँव सीँची है और इस वतन को चमन बनाया है,
गालिब नें उर्दू को उर्दू और दिनकर नें हिंदी को हिंदी बनाया है।
मजहबी झगड़ों की बुनियादें तो एकदम खोखली हैं,
वतन को वतन उर्दू नें भी बनाया है और हिंदी नें भी बनाया है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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13 OCT 2020 AT 9:28

नफरत की हवाएं आज तेज हैं
तिरंगे से क्यों सबको परहेज हैं

समेटकर रख दो तुम इन धर्म के झंडों को
क्यों नहीं समझते राजनीति के हथकंडों को

मोहब्बत मरी नहीं उसे ढूंढो जिंदा हैं
हुकूमत का उसपर डाला हुआ फंदा हैं

तुम्हें अँधेरी गुफा में बैठा रखा हैं
नाम उसका मेरा मजहब रखा हैं

तुम्हारी सोचने की रोशनी छीन ली हैं
कल दंगों में तुमने अपनो की ही जान ली हैं

क्या हासिल हुआ उस मौत के मंजर में
तेरे जैसा ही खून लगा था तेरे खंजर में

क्यों अपने खून से सींचते हो हुकूमत को
हो एकजुट बदल डालो देश की सूरत को

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11 JUN 2018 AT 8:42

मज़हब ना पूछ मुझसे मेरा ए मेरे दोस्त,
मज़हब पे ऐतबार में ना रखती हूँ।
क्योंकि अगर में अपने भगवान पे भरोसा करती हूँ,
तो में तेरे अल्लाह पे भी यक़ीन रखती हूँ।।

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10 APR 2019 AT 20:50

हम मन्दिर भी चले जाते थे, मस्जिद भी चले जाते थे,
मज़हब पे लड़ाई नही थी तब,
छुपम छुपाई में हम बच्चे दोनों जगह छुप जाते थे।।

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