वतन की नीँव सीँची है और इस वतन को चमन बनाया है, गालिब नें उर्दू को उर्दू और दिनकर नें हिंदी को हिंदी बनाया है। मजहबी झगड़ों की बुनियादें तो एकदम खोखली हैं, वतन को वतन उर्दू नें भी बनाया है और हिंदी नें भी बनाया है।। -ए.के.शुक्ला(अपना है!)
मज़हब ना पूछ मुझसे मेरा ए मेरे दोस्त, मज़हब पे ऐतबार में ना रखती हूँ। क्योंकि अगर में अपने भगवान पे भरोसा करती हूँ, तो में तेरे अल्लाह पे भी यक़ीन रखती हूँ।।