मैं बहारी अंतरिक्ष की ओर उड़ू गुलाबी सपनें में खो जाऊं तुम्हारी मुस्कुराती आँखे चमके ऐसे आसमां से टूटता तारा हो जैसे मेरे ख़्वाब खुश होते ऐसे चमकते तारों जैसे अंधेरी खाई में गिरे रहे जबकि चलने में सुस्त हैं अब भी प्रकाशवर्ष की दूरी पार करे कैसे आकाशगंगा में तुमसे मिले कैसे ?