QUOTES ON #भ्रष्टाचार

#भ्रष्टाचार quotes

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3 SEP 2019 AT 11:03

एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ--
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।

- धूमिल

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28 DEC 2020 AT 16:43

हाय करूँ क्या सूरत ऐसी
गांठ के पूरे चोर के जैसी
चलता फिरता जान के एक दिन
बिन देखे पहचान के एक दिन
बांध के ले गया पोलिसवाला!
बूढ़े दारोगा ने चश्मे से देखा
आगे से देखा पीछे से देखा
ऊपर से देखा नीचे से देखा
बोला ये क्या कर बैठे घोटाला
हाय! ये क्या कर बैठे घोटाला
ये तो है थानेदार का साला !!

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15 MAR 2019 AT 15:19

पुल से डर लगता है अब
नदी पर हो
रेलवे का हो
फ्लाईओवर हो
या पुलवामा
जोड़ने का पर्याय अब
उजाड़ने लगा है घर
कब गिर जाए
कहर बरपाए
यह तय नहीं
तय है तो यह कि
रेलवे का हो या फुटओवर
नदी का हो या पुलवामा
हर सूरत में जिम्मेदार है
ठेकेदार
चाहे वह वर्क्स डिपार्टमेंट का हो
राजनीति का
धर्म का
या आतंक का
गिरेगा पुल
उड़ेगा पुल
भरेगा आम
सहेगी औरत

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'रिश्वत' और 'भ्रष्टाचार' का दूसरा नाम :- "निजीकरण"

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जब चुना जिन्हें वो ही हमको जमकर चूना लगवाते हैं,,
कुछ कभी नहीं देते हमको झुनझुना हमें पकड़ाते हैं!!

उम्मीद भी इनसे क्या रखें,कंबल दारू ही बांटेंगे,,
सियासत में लगा आग ये,फिर खुद ही बुझवाते हैं!!

और न पूछो इनकी हरक़त,क्या कुछ ये कर जाते हैं,,
राशन खुद ही खा जाते ये,हमको भाषण पिलवाते हैं!!

सबसे ग़रीब रेखा नीचे का,खुद राशनकार्ड बनवाते हैं।
मार ग़रीबों का हक़ सुन लो,बिल्डिंग खुद की तनवाते हैं!!

उम्मीद करो मत इनसे अब,शैतान यही कहलाते हैं।
ये पाक साफ दिखते पहले,फिर चारा खा जेल ये जाते हैं!!

बनती काग़ज़ में सड़कें अब,काग़ज़ में पुल बनवाते हैं,
तकनीक बड़ी इनकी अद्भुत,ये हज़म सभी कर जाते हैं!!

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10 NOV 2020 AT 17:20

भ्रष्टाचार
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23 MAY 2020 AT 23:19

-धूमिल

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7 MAR 2017 AT 13:06

बीवी को गुलाब और बच्चों को चॉकलेट से मनाता हूँ
अनजाने में मैं अपने परिवार को भ्रष्ट बनाता हूँ
आगे चल के ऐसे ही लोग सरकार बनाते हैं
भ्रष्टाचार को हम ही शिष्टाचार बताते हैं

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26 JAN 2020 AT 12:06

एक औऱ आज़ादी बाहर से मिली है
एक आज़ादी अंदर मिलना चाहिए

देश को फिर तरक़्क़ी विकास चाहिए
तो देश भृष्टाचार से मुक्त होना चाहिए

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10 DEC 2020 AT 16:57

ई मँहगाई ई बेकारी, नफ़रत कै फ़ैली बीमारी
दुखी रहै जनता बेचारी, बिकी जात बा लोटा-थारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!

बरखा मा विद्यालय ढहिगा, वही के नीचे टीचर रहिगा
नहर के खुलतै दुई पुल बहिगा, तोहरेन पूत कै ठेकेदारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!

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