तुझ पर शक करना गलत था.."
पर शक बिलकुल सही था..!!!💔
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गलत को कहीं गलत अब बोला नहीं जाता
जहां चाहिए वहीं जुबां को खोला नहीं जाता
तालीम ले ली, इल्म हो गया, बने बड़े ज्ञानी
पर बोलने से पहले शब्दों को तोला नहीं जाता
सब को देते सलाह वाली शब्दकोश की नसीहत
अपने अंदर छिपे लफ्जों को टटोला नहीं जाता
हर शख्स यहाँ जाने किसके होड़ में भागा फिरता
सब छूट जाएगा यहाँ, ऊपर कोई झोला नहीं जाता
नफ़रत ग़र है पाली, जुबां पर उसका बयान ना हो
बोलकर 'कुमार' फ़िजा में ज़हर घोला नहीं जाता।-
कहाँ समझते हैं वो हाल ए दिल हमारा
अभी हमनें दिल का राज कहाँ खोला है
जानती हैं बस उतना ही जितनी इजाजत दी उनको
अभी दिल का हाल उनको कहाँ बोला है-
एक हर्फ़ तेरे तआरुफ़ में जँचाया ।
एक छोटा सा नगमा आगे बढ़ाया ।
एक हर्फ़ हमने भी पाया ।
एक नज़र को जो तूने तरसाया ।
एक दिन निकल गया ।
एक रैन बीत रही ।
एक लिहाफ से लिपटी,
एक आरज़ू जलती रही ।।-
तनहा सा हो गया है... मेरा कमरा आजकल,,
एक पंखा बोला करता था... पर अब सर्दियाँ आ गयी हैं..!!
- शशांक भारद्वाज...-
हाँ बोला था उसने कि उससे प्यार न करूँ मैं,
गर हो भी जाये कभी तो इज़हार न करूँ मैं..!!
हाँ बोला था उसने कि रोना पड़ेगा मुझको बहुत,
अपनी किस्मत पे यूँ बेइंतेहा एतबार न करूँ मैं..!!
हाँ बोला था उसने कि दिल की बातें दिल में ही रहने दूँ,
यूँ सरेआम महफ़िल में बोल के उन्हें अख़बार न करूँ मैं..!!
हाँ बोला था उसने कि खामख्वाह मेरी नींदें उड़ जाएंगी,
यूँ हर रात उसकी तस्वीर का दीदार न करूँ मैं..!!
हाँ बोला था उसने कि कोई और मिल जायेगा मुझे,
पर अभी यूँ खुद से खुद की ही तकरार न करूँ मैं..!!
हाँ बोला था उसने कि मोहब्बत एक गैरजमानती सजा है,
ज़ालिम इश्क़ और मौत में कोई असरार न करूँ मैं..!!
हाँ बोला था उसने कि "मतवाला" दिल टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा,
यूँ खुलेआम इस दिल के लुटने का कभी इकरार न करूँ मैं..!!-
उसकी हर एक बात सीधा मेरे दिल पर लगती थी..
वो जालिम झूठ भी कितनी सच्चाई से बोला करती थी..-
खोल कर पन्ने ज़िन्दगी के खुली क़िताब हो गई हूँ
कहकर हर 'राज' तुझसे, सामने तेरे रूबरू हो गई हूँ,
तू थाम ले या... छोड़ दें अब मर्जी तेरी
मैं तो दीवानी थी तेरी..अब पुजारन हो गई हूँ..!!-
बात ना करबा,,,
ऐसे मुंह फूला के रहबा
त हमरा दरवाजा प
द्वारपूजा कईसे लगइबा!!!
"बोला हो!!!"-