यूं तो कोई शिकायत नहीं मुझे मेरे आज से
मगर कभी कभी बीता हुआ कल बहुत याद आता है-
हम भी कभी अपने...
बचपन के सफर में हुआ करते थे
न डर आँधी तूफान बारिश का
बस टोली बना गली-गली घुमा करते थे
उस वक़्त हर घर अपना हुआ करता था
न पराया न तेरा मेरा हुआ करता था
हर दिल में बसा एक इंसान हुआ करता था
मेल मिलाप का मौहोल हुआ करता था
अब न वो इंसान न वो दौर है
न जुबा पर रखा वो शहद है
चल रहा अब ऐसा दौर है
जहाँ दिलो में नफरत और
उगलता जुबा से जहर है।
-
खुशियां भरा हर लम्हा समेट लो.
बीता वक़्त कभी लौट कर नहीं आता-
बीता हुआ साल तो,
कुछ यूं गुजर गया...
हम उनकी मोहब्बत में,
खोए रहे...
और वो हमसे ना जाने कब,
बिछड़ कर चला गया...-
वो छिपा के रखे हुए खत तो अब जला दो,
हमारी तरह वो भी तो तुम्हारे लिए बीता हुआ कल हो चुके होंगे।-
उस ढलती शाम की बात याद है तुम्हें,
बीता जो पल साथ क्या याद है तुम्हें,
वो साथ तेरे चलना चलते चलते
बातें बेहिसाब करना,
तेरी मुस्कुराहट को देख खुश
हो जाना क्या याद है तुम्हें,
तेरे साथ बीता जो वक़्त
क्या याद है तुम्हें।-
22 22 22 2
खोया बीते लम्हे में
तेरी ग़ज़लें सुनने में1
थोड़ा वक्त तो लगता है
दिल से दिल को मिलने में2
सारी रात गुजारी फिर
हमने तारे गिनने में3
मुश्किल होता है लोगो
चुप्पी साध के रहने में4
दिल हल्का हो जाता है
दुख को कहने सुनने में 5
अच्छा लगता है कितना
संग हवा के बहने में6
आपाधापी लगी रही
ख़्वाबों को ही बुनने में7
साथी सारे छूट गए
जीवन के इस रस्ते में8
दिल से "रिया" लहू निकला
इक मतले को कहने में9-
जो बीत गया उसे, तू कैसे झुटलाएगा।
तेरी सांसो का फ़साना, अब यही थम जाएगा। धड़केंगी, जब तेरी धड़कने, याद बस तुझे गुजरा कल आएगा।। ।।ये लम्हा फिर न आएगा।।
जो बस गया हैं मुझ में तू उसे कैसे भुला पायेगा।
जी ले इस लम्हे को आज में क्योकि बीता हुआ लम्हा फिर न लोट पाएगा।-
शाम की बातें
आम सी बातें
तुम, मैं और
साथ की बातें,
जो आई नहीं
रात की बातें,
घड़ी में बजती
आठ की बातें,
रूठते मनाते
बेबाक सी बातें,
बीत गयी सारी
सौगात सी बातें,
अब कहाँ रहीं
तेरे नाम की बातें!
आह! छूट गईं
शाम की बातें!-