उम्मीदें नहीं रखती अब क्योंकि किसी से
उम्मीद रखना ही बेकार हैं।-
क्यूं ऐसा होता हैं की आंख बंद कर हम,
सब सही गलत में फर्क करना भूल जाते हैं,
जगते है,हंसते व रोते हैं और ज़िन्दगी
उनके हिसाब से जीना सीख जाते हैं,
हम क्या हैं ये हम उनसे मिलकर ये भूल जाते हैं
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चलो आज समुंदर से मिलते हैं,
हम बूंद हैं आख़िर दिखाई कहा देंगे।-
आप सभी लेखक मित्रों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏😊
परम पिता परमेश्वर से कामना है की आप सब का स्वास्थ्य हमेशा उत्तम रहे और आप सब ऐसे ही लिखते रहे और भविष्य में आप सब अपने लेख से जानें जाएं।😊😊✍️🙏✍️😊😊✍️🙏✍️😊😊
Wish you a very very happy new year 2022-
सूनापन कुछ यूं खलता हैं,
जैसे अंदर ही अंदर कोई मरता हैं.....-
हर पन्नें पर तेरा अश्क हैं इन लम्हों को समेट कर मैं रखूं कहा,
लिखूं इस तरह मैं तुम्हें की तुम मुझे कभी भूलो न।-
इंतजार तो वहीं हैं इन आंखों को आज भी,
दिन,महीने,साल सब बदल रहे हैं,
क्या ये इंतज़ार का दिन भी बदलेगा कभी.......-
तसल्ली नहीं एक सुकून सा हैं,
हमसफर तो नहीं पर सफर में था वो।
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गुजरा वो इस तरह की दिखा ही नहीं,
ज़माने के साथ ये कोहरा भी दुश्मन हो गया
उसके एक दीदार के लिए.....-