वैसे तो इस देश के जाने कितने भाग्य विधाता हैं ।
कितने बलिदानी हैं कितने राष्ट्र नीति के ज्ञाता हैं ।
श्रेय कई लोगों का है जिनका उपकार नमस्कृत है,
पर प्रजातंत्र के शीर्ष पुरूष में भीमराव ही आता है ।
#14_April #Baba_Sahab_Janmadiwas-
दौर वो भी देखा था अपनों ने
पानी पीना भी जहां दुश्वार था,
जानवर से बत्तर वहां
होता इंसानों म से व्यवहार था...
ना तन पर था कपड़ा कोई
ना खाने को रोटी होती थी
गुजरते जो थे राहों से
कमर पर झाड़ू
गले में मटकी होती थी...
छुआ छूत का ज़हर कण कण में जो समाया था
देने शूद्रों को अपना मान सम्मान
इस जगत में भीमा आया था...
सितम उस पर भी समाज ने कम नहीं ढाया था,
दृढ़ संकल्प ने उसके नया इतिहास रचाया था..
बढ़ते अत्याचारों पर भी वो हताश हो ना पाया था
रमाई ने उनका हौसला कुछ इस कदर बढ़ाया था,
मौत पर अपने बच्चों की वो रो भी ना पाया था
जगाने अपने समाज को को सब भूल आया था..
जातिवाद का दमन करने का वो इरादा लाया था
सोई हुई कौम के लिए शिक्षा का उजाला लाया था,
कर्ज़ हैं हम पर उनका समानता का सपना साकार हो
शिक्षित, संगठित, संघर्ष ही हमारा आधार हो
हमसे ही नया युग बने नया हमारा स्वराज हो...
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विश्व विख्यात सिन्धु घाटी का जीता जागता इतिहास है हम,
जनाब जरा तहज़ीब से पेश आना कोरेगांव की आग है हम।
अशोक की तलवार ,बिरसा की तीर कमान है हम ,
जनाब जरा तहज़ीब से पेश आना कोरेगांव की आग है हम।
फूले है, पेरियार है , कांशीराम के बहुजन है हम
जनाब जरा तहज़ीब से पेश आना कोरेगांव की आग है हम।
उधम सिंह का जुनून, महापुरुषों का खून है हम,
जनाब जरा तहज़ीब से पेश आना कोरेगांव की आग है हम।-
आज विद्या का सन्चित होता अमूल्य धन,
एकदिन उज्जवल भविष्य की नींव रखेगा।-
गरीब पढ़ने लगे तो सरकारी संस्थाएं बंद होने लगीं,
नौकरी लगने लगी तो निजीकरण करने लगे,
बस तरीका बदल गया है शोषण नहीं।-
मध्यप्रदेश के छोटे से गावं महू के जन्में वो,
पिता रामजी मालोजी सकपाल माँ भीमाबाई जो,
दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित करने वाले वो,
सामाजिक समानता के संघर्ष के मुख्य प्रणेता जो,
भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, प्रखत अर्थशास्त्री वो,
राजनीतिज्ञ, समाजसुधारक स्वतंत्रता सेनानी जो,
भारत गणराज्य के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री वो,
संविधान शिल्पी भारत गणराज्य के निर्माता जो,
भारत रत्न बाबा साहब भीमराव आंबेडकर वो।-
संविधान को लिखने वाले।
तूने कभी ना जाना।।
कुछ मूरख अज्ञानी तुझको।
आज भी देते ताना।।
बाबा तूने संविधान में।
सबकी लिखी भलाई।।
कुछ लोगों के नहीं समझ ये।
बात अभी तक आई।।
कितना सब कुछ झेला जीवन में।
फिर भी अधिकार दिलाया।।
है नादान मनुज वो जो ये।
बात समझ ना पाया।।
संघर्षों में बचपन बीता।
दुःख में कटी जवानी।।
फिर भी मेरे भीमराव ने।
हार कभी ना मानी।।-
जिनके व्यक्तित्व, गुण, महानता की सीमा नहीं,
कुछ ऐसे मेरे बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर।-
में चला गया लेकिन तुम्हारे लिए एक मुक्मबल ज़बाब छोड़ कर गया हूं ,
कभी वक्त मिले तो पड़ लेना में तुम्हारे लिए भारत का संविधान छोड़ गया हूं।-