Ñèhà ®àj   (नेहा_राज)
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Joined 15 February 2020


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Joined 15 February 2020
29 JUN AT 23:27

वो लड़का..
ना जानें किस मोड पर ले आया मैं ख़ुद को,
दिल भरा मेरा रंज -ओ ग़म से आज
लबों पर कैसी ये मुस्कान आई हैं,
क्या था मैं और क्या हो गया हूं
करता यही सवाल खुद से आज,
वो जो ज़िंदगी को जीता अपनी अठखेलियों पर,
वो लड़का कैसे गमगीन हो गया,
कुछ तो टूटा हैं उसके अंदर जो आज इतना संगीन हो गया,
बिखरे उन टुकड़ों को सबसे उसने छुपाया था,
कल रात की महफ़िल में हंसते हंसते उसने सबको रुलाया था,
भीगी भीगी आंखें उसकी अलग ही दास्तां सुना रही थीं,
एक कतरा चुभ गया आंखों में ये सिर्फ़ उसका बहाना था,
थोड़ा ही सही हो बोझ हल्का जो
उसके नाज़ुक दिल ने अरसों से उठाया था..
देख उसकी हालात सबको ये ख्याल आया,
ये लड़का किस रात दिल से मुस्कराया था...
अपने दर्द को हवा में छल्ले बना उड़ाया था,
कोई नहीं समझेगा यहां ये अपने दिल समझाया था,
बिखरे उन टुकड़ों को सबसे उसने छुपाया था,
कल रात की महफ़िल में हंसते हंसते उसने सबको रुलाया था.




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29 JUN AT 23:17

हर रोज आ रहा नया दिन ,
शाम भी वक़्त पर ढल रहीं
मैं खड़ा ख़ाली हाथ लेकर
ज़िंदगी पल पल बदल रहीं,
मुस्कुराहट की चादर ओढ़ ली
सिसकियां तकियों में दबने लगीं
कुछ इस तरह मेरी रात गुजरने लगीं,
सब ठीक हैं,सब ठीक हो जाएगा
ये जुमला मन को भरमा रहा हैं
हकीक़त ये हैं वक़्त आजमा रहा हैं,
बिखर बिखर के इतना टूट गया हूं
चकनाचूर है दिल मेरा फिर भी
हौसला देख मैं इस मंज़र में भी मुस्कुरा रहा हूं,
अच्छा मौसम आया नहीं तो क्या
ये अंधेरा लाए बादल भी छट जाएंगे,
उम्मीद ये दिन भी मेरे फिर जाएंगे,
आजमाइश चल रही मेरे हालातों की
मोम नहीं जो ऐसे ही पिघल जाएंगे
वक़्त लगेगा हम भी निखर जाएंगे ....


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27 JUN AT 19:05

तुझे पा कर भी देख लिया,
तुझे खो कर भी देख लिया,
तू किसी हाल न हुआ मेरा
ये मैने आजमा कर देख लिया,
जुबां पर सिर्फ़ फ़िक्र मेरे नाम की थी
तेरी नज़रों में बसा कोई और
ये नजर मिला कर देख लिया,
तू रह गया याद बनकर
हज़ारों दफा तुझे भुलाकर देख लिया,
न पिघले दिल तुझे देखकर
दिल को पत्थर बना कर भी देख लिया,
तुझे बना अपनी दुनियां सारी
उसी दुनियां को पराया होता देख लिया,
न होगा कोई शामिल तेरी तरह
मैंने ये इश्क़ निभा कर देख लिया

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27 JUN AT 14:33

वो लड़की
यूं ही टकरा गई थीं अंजाने में,
होने लगी थी मुलाक़ात आने जाने में,
वो बेकिफ्र अल्हड़ सी लड़की
जो लगी हैं अब बात बात पर शर्माने में,
कुछ तो हुआ जो वो संजीदा हुई थीं,
सुना है किसी की पसंदीदा हुई थीं,
देती भी न थीं जो ध्यान ख़ुद पर
हर रोज आईने के सामने इतराने लगीं थी ,
कुछ तो हुआ जो वो संजीदा हुई थीं,
सुना है किसी की पसंदीदा हुई थीं,
खुली किताबों सी जिंदगी उसकी
अब पन्नों पर लिखावट ज़रा
राजदारी सी हुई थीं
चलाती थी रौबदारी हर किसी पर अपनी
शर्म-ओ-हया से अब भरमाई हुई थीं

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27 JUN AT 14:30

तेरे इश्क़ को कुछ इस कदर मशहूर कर दिया,
अपने ख़्वाब कहानी किस्सों से तुझको दूर कर दिया,
तूने ख़ुद ही ढूंढ लिया खुद को मेरे अल्फाजों में
बेवफाओं को तूने कितना मगरुर कर दिया..

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27 JUN AT 14:28

मेरे ख़्वाब
तुम जब आओ तौफे में थोड़ा वक़्त लेते आना,
बिन बोले मुझे अपने गले से लगाना तबतक
मैं खुद को आज़ाद न कर दूं जबतक,
बीते साल, महीने, हफ़्ते, दिनों की पल पल
बढ़ती दूरियां सिमट न जाए जबतक,
मुझे अपने गिरह से तुम आज़ाद न करना तबतक,
अपने अधर का स्पर्श कुछ कदर रखना
मेरे माथे पर चमकती हुईं उस बिंदी पर,
जो गवाह रहे तेरे साथ होने का,
हर पल में,हर कदम में,
पतझड़ में, बरसात में,
मेरे दिन में,मेरे रात में,
मेरे अनकहे जज़्बात में,
मैं जी लूं उस समय को जब हूं तेरी गिरह में
मेरे ख़्वाब इतने महंगे तो नहीं
जो तू पूरे न कर सकें
ये उठती कसक बहुत सिनी हैं,
बस इतनी ही ज़िंदगी तेरे संग मुझे जीनी हैं

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27 JUN AT 14:22

वो लड़का..
ना जानें किस मोड पर ले आया मैं ख़ुद को,
दिल भरा मेरा रंज -ओ ग़म से आज
लबों पर कैसी ये मुस्कान आई हैं,
क्या था मैं और क्या हो गया हूं
करता यही सवाल खुद से आज,
वो जो ज़िंदगी को जीता अपनी अठखेलियों पर,
वो लड़का कैसे गमगीन हो गया,
कुछ तो टूटा हैं उसके अंदर जो आज इतना संगीन हो गया,
बिखरे उन टुकड़ों को सबसे उसने छुपाया था,
कल रात की महफ़िल में हंसते हंसते उसने सबको रुलाया था,
भीगी भीगी आंखें उसकी अलग ही दास्तां सुना रही थीं,
एक कतरा चुभ गया आंखों में ये सिर्फ़ उसका बहाना था,
थोड़ा ही सही हो बोझ हल्का जो
उसके नाज़ुक दिल ने अरसों से उठाया था..
देख उसकी हालात सबको ये ख्याल आया,
ये लड़का किस रात दिल से मुस्कराया था...
अपने दर्द को हवा में छल्ले बना उड़ाया था,
कोई नहीं समझेगा यहां ये अपने दिल समझाया था,
बिखरे उन टुकड़ों को सबसे उसने छुपाया था,
कल रात की महफ़िल में हंसते हंसते उसने सबको रुलाया था.



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12 MAY AT 3:36

रिश्ते का एहसास बातों के सिलसिले से होता.....

अचानक आई खामोशी चुभती बहुत हैं....

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28 APR AT 2:04

रिहा कर लिया....
कर दिया रिहा ख़ुद से
उन तमाम जज़्बातों को,
अल्फाजों को एहसासों को,
जिसने बांध रखा था मेरे मन को,
कभी न मुकम्मल होने वाले अनकहे वादों से..

न फ़िक्र अब कोई तेरी,
न आंख मेरी नम हैं, न कोई दर्द
न ठहरा कोई दिल में गम हैं..
उलझा था उस बंधन में न जाने कबसे,
वो जो मेरे मन का महज़ एक भ्रम हैं....

मोड़ दिया ख़ुद को उन रास्तों से
जो मंज़िल को ही न पड़े थे,
हटा दिया याद का पहरा
जो बेवजह ही अड़े थे,
समेट लिया उन बाहों को
जो कबसे फैलाए खड़े थे,
अब रिहा कर दिया ख़ुद से
जो अदृश्य बेड़ियां बने थे....

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19 APR AT 4:52

रिश्ते से आज़ाद होना बहुत ही आसान है....

प्रेम भावनाओं के प्रवाह को कैसे विराम लगाऊं????

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