Ñèhà ®àj   (नेहा_राज)
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Joined 15 February 2020


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Joined 15 February 2020
8 DEC 2023 AT 0:10

*सोचती हूं*

इतना सब्र कर रखा है, कि
अब सब्र को भी सब्र ना रहता हैं,

मिलती रहती हर बार सजा कैसी,
ना जानें कैसा ये गुनहगार रहता हैं.

चीखता जो रातों को दिल मेरा
ख़ामोशी छा जाती हैं,
फिर ना जानें कैसे आंख भर आती हैं.

समझें कोई, ऐसी कोई अब आस नहीं,
मतलबी सी दुनियां अब मुझे रास नहीं,
गुमनाम भी हो जाऊं कभी तो ,
याद आऊं किसी को ऐसी ख़ास नहीं.








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18 OCT 2023 AT 1:28

मशहूर किस्सा होने लगा तेरा मेरा,
बता दिया ज़माने को भी कि तू
इश्क़ हैं मेरा...
इक तुझ से ही इकरार हुआ नहीं,
जानते है लोग अब नाम लेकर तेरा,
एहसास तुझको भी हो जाएं,
करता दुआ हर पहर दिल मेरा,

कोई तो रिश्ता है अपने दरमियां
यूहीं सैकड़ों की भीड़ में
सिर्फ़ तेरे ही लिए क्यों धड़कता दिल मेरा,
तू राज़ी हो या ना हो
मुझ पर हक होगा सिर्फ़ तेरा,
बता दिया ज़माने को भी कि तू
इश्क़ हैं मेरा...


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18 OCT 2023 AT 1:15

एक ख्वाहिश सी हैं
अरमां बयां कर दूं दिल के सारे,

खौफ इस बात का भी
बिखरे जो टुकड़े
समेटे फिर ना जाएंगे...

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23 SEP 2023 AT 0:56

वफ़ा
ना तेरी कोई खता थी,
ना मैं था तुझे कोई खफा,
किसी और से ही सही मगर
निभा रहे थे दोनों अपनी अपनी वफ़ा..

कोई हक़ बचा था नहीं
जो देता तुझ पर जता,
इस गुजरते वक्त का
ना उसको था,ना मुझे था पता,
ख्वाबों में लिपटी हुई मुलाक़ात
आंख खुलते ही ख़ाक हो गई,
कैसे दूं इल्ज़ाम कोई वो भी
निभा रहा था अपनी वफ़ा,

हुई भूल समझने में मुझसे ही,
मासूम सा चेहरा कैसे कर सकता हैं दगा,
मतलब के इस दौर में आज तो
अपना खुद का दिल भी ना रहा सगा,
किसी और से ही सही मगर
निभा रहे थे दोनों अपनी अपनी वफ़ा..

बेचैन कोई आज भी है पहर रात में,
आए अंधेरे ही जिनके हाथ में,
आज फिर मुस्कुरा कर
कर ली कोशिश उसको भूलने में,
कि खुश हैं कोई गैरों के साथ में...✍️✍️





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19 SEP 2023 AT 0:43

सब्र
खोया बहुत कुछ की याद नहीं,
सोया था सुकुन से किस रात
वो रात मुझे याद नहीं,
दिन अक्सर गुज़र जाता हैं भीड़ में,
कैसे कटे मेरी ये रात जिसका हल नहीं,

सब्र कर के इतना बैठा हूं,
हाथ ख़ाली मेरे लिए
गैरों के लिए बाहें फैला बैठा हूं,
ना जानें क्यों नज़र आता नहीं
दमन का फटा हुआ वो कतरा
खुशी जहां से फिसल जाती हैं,
मरता हूं हर पहर जब याद तेरी आती हैं,

भटक रहा हूं बन मुसाफ़िर में
मंज़िल दूर तक नज़र आज भी आती नहीं,
भूले मुझे एक अरसा हो गया तुझको
एक तेरी याद हैं जो भूली जाती नहीं,
आजमा लेता मैं क़िस्मत को भी
जो तू मेरे साथ खड़ी तो होती,
कितना सही था,कितना गलत
इस बात के लिए थोड़ा मुझसे लड़ी तो होती,
जताती हक अपना मुझ पर भी थोड़ा,
यूं ही ख़ामोश मुझसे हुईं ना होती,

जितना बिखरा मैं, टूटी तो वो भी होगी,
कर ख्वाबों को पैरों तले नम आंख होगी,
इल्ज़ाम कैसे लगा दूं बेवफाई का,
इश्क़ और इज़्जत की जंग उसने भी लड़ी होगी...

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8 SEP 2023 AT 1:51

💔...यादें...💔
नशा सारा उतर गया,
एक वो याद आने के बाद...
होश भी आया,
बर्बाद होने के बाद...
सोच भुला कर सब बढ़ गया हूं
ज़िंदगी की राह में,
ख़ुद को फिर वहीं पाया,
एक वो याद आने के बाद...

कसूर उसका नहीं,
बोला था संभल कर चलने को,
मैं ही संभला नहीं ठोकर खाने के बाद...
ख़ुद को फिर वहीं पाया,
एक वो याद आने के बाद...

ना जानें कैसा रिश्ता है तुझसे
तू हुआ ना करीब मेरे,
ना रहा मैं करीब तेरे कभी,
वो मकाम हासिल कर बैठा
दिल में इस क़दर कि
तेरे सिवा फिर वहां ना आया कोई,
सुन तू रहना आबाद सदा,
हमारा क्या हम
बर्बाद हुए तो बर्बाद ही सही...
चाहूं अब किसी को तेरी तरह
चाहत ऐसी अब किसी से होगी नहीं...

करता हूं कोशिश न करूं तुझे याद कभी
तेरी याद के बिना
मेरी ये शायरी मुक्कमल होगी ही नहीं..
तू ना सही, तेरी याद की काफ़ी हैं,
करती कलम को पूरा जैसे स्याही हैं
हां, उसी तरह तेरी याद काफ़ी हैं...✍️

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8 SEP 2023 AT 1:10

रूठने मनाने का चलन अब बंद हो गया,

ख़ामोशी से चले जानें का जोर आज बहुत हैं...

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8 SEP 2023 AT 0:58

नाजायज बहाना ही काफ़ी है ,

रिश्ता खत्म करने को..

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31 AUG 2023 AT 1:41

दुनियां बड़ी फुर्सत में हैं,
जो सबकी कहानी जानती हैं....


एक लापरवाह से हम हैं,
जिसे ख़ुद की ख़बर तक नहीं.....

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31 AUG 2023 AT 1:37

संवारते रह गए क़िरदार अपना.....

कोई सूरत दिखा कर ही बाज़ी जीत गया.....

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