❣️ बनारसी इश्क❣️
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आ चल पी कुल्लड़ में लंका की दो घुट चाय प्रिये
बैठ अस्सी के घाटों पे हो कुछ अलग बात प्रिये
देखूं गंगा आरती तेरी बाहों से लिपट कर कुछ इस तरह
जैसे जुड़ी हो गंगा के घाटों से घाट प्रिये
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❣️ इश्क़ Banaras❣️
यह नगर विख्यात काशी से ।
काशी की पहचान बनारस वासी से ।
यहाँ के चाय चटपटी निराली से।
खिलती गालों पर लाली पान की डाली से ।
जहाँ शाम के घंटियों के मधुर से गूंजे पूरा शहर।
जहाँ साधु सन्यासी भोले की भक्ति में मगन हर पहर ।
गंगा मैया की छवि जहाँ सुंदर निराली है ।
जहाँ घाटों की आरती लगती हर दिन दिवाली है ।
यह हमारा शहर बनारस है !
यह ................बनारस है!
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यूं तो शराफत है हमारी जो चुप बैठे हैं
वरना तो,
लंका कि उस भीड़ में भी, बढ़ जाती है धड़कने एक उनका नाम सुनकर.....-
तुम बनारस की वह पवित्र नदी हो जिस के घाट पर मै अपनी हर शाम बिताना चाहती हूँ |
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तुम बिल्कुल बनारस के,
उस गंगा घाट से हो....
थोड़े से शांत ! थोड़े से मासूम !
जैसे गंगा घाट की हवा में,
सुकून है ना....
ठीक वैसा ही सुकून,
तुम्हारी बाहों में भी है....-
कुछ तो बात है मेरी यहां कि रुह कि
जो चले आते है दौड़े बनारस की गलियों में-
तेरा इश्क़ गर बनारस है ,
तो यकीनन गंगा घाट हूं मैं
तुम कुल्हड़ की मीठी चाय से
तो नुक्कड़ की तीखी चाट हूं मैं
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मेरा इश्क़ उसके लिए ❤ कुछ ऐसा ,
बनारस😍 की सकरी गलियों👇
की ऊंची इमारत जैसा।😊-