banarasi panditayin   (Disu✍)
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Joined 19 March 2019


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13 NOV 2021 AT 23:58

Sometimes people related to you are God's blessings for you.

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9 NOV 2021 AT 22:27

अपने ही अधिकारों की बात कहने पर
मैं बड़ी ज़ोर से हकलाती हूँ
आज भी समाज के सामने
मैं कुछ सच्चाइयाँ नहीं बोल पाती हूँ।

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9 NOV 2021 AT 22:25

अपने ही अधिकारों की बात कहने पर
मैं बड़ी ज़ोर से हकलाती हूँ
आज भी समाज के सामने
मैं कुछ सच्चाइयाँ नहीं बोल पाती हूँ।

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12 OCT 2020 AT 10:14

कुछ तो रहा होगा आख़िर यूँही
थोड़े उसका दिल भरा होगा।

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14 JUL 2020 AT 13:03

उसकी पलकों को ख़ुद के
लिए झुकता देखा हैं,
मैंने इश्क़ के शहर में,
उसे बनारस होते देखा है।।

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26 JUN 2020 AT 12:48

चल आज ख़ुद को ख़ुश करते हैं,
ज़रा सा बस ज़रा आँखों,
में काज़ल भरते हैं।
बालों को खुला ही ऱखते हैं।
चल आज ख़ुद को ख़ुश करते हैं।
छोटी सी एक बिंदी
माथे पे सजाते हैं।
आज ख़ुद से प्यार जताते हैं।

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13 JUN 2020 AT 14:43

उनके इश्क़ में हम ख़ुद को
कर्ज़दार कर रहे थे।
हां शायद हम उन्हें,
इश्क़ बार-बार कर रहे थे।

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11 JUN 2020 AT 11:46

वो लड़की ख़ुद को इश्क़ में
बनारस बताती हैं।❤️❤️

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9 JUN 2020 AT 9:08

महादेव से मोहब्बत,चाय से इश्क़ जताती हूँ,
मैं ख़ुद का परिचय अल्हड़ बनारसी बताती हुँ।

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25 MAY 2020 AT 7:58

ये जो जुल्फ़े समेट
कर तुम जुडा।
बना लिया करती हो ,
सुंनो हाँ तुम ।
तुम ही,मुझे आज़ाद
क्यों नहीँ करती हो ।

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