चींटियों की एक लम्बी कतार
ऐसे चल रही थी...
जैसे किसी मिशन के लिए
भारी तदाद में निकली फौज,
और अपने कमांडर के निर्देशों का
बखूबी पालन किया जा रहा था।
कमांडर चींटी जिस ओर भी
अपना रुख करती,
सभी चींटियां उसी दिशा में
बढ़ जाया करती थी।
पता नहीं ये चींटियां कौन से
मिशन पर जा रही थी,,
पर मैंने इसे एक लम्बी दूरी
तय करते हुए देखा...-
बचपन से ही सपना है मैं फौज में जाना चाहती हूं,
उस वर्दी को मैं अपने तन पर सजाना चाहती हूं,
लगेंगे Sitare जिस दिन मेरे कंधों पर उस दिन को मैं जी भर के जीना चाहती हूं,
Lieutenant से Captain, Captain से Major इसी तरह Officer Rank तक का सफर करना चाहती हूं,
दुश्मन की छाती पर मैं तिरंगा फहराना चाहती हूं,
अपनी बची हुई जिंदगी मैं देश के नाम कर देना चाहती हूं,
बस इसी आस में CDS की तैयारी में लग जाती हूं।-
कभी इन रास्तों पर सुबह उठ के देखो ना
हजारों देश भक्त रोज इस पर दौड़ते हैं.!
हम रख सकें आबाद अपने जीवन को
इसलिए फौज में शामिल हो घर को छोड़ते है.!!
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देश बीमार है
क्या अजब खुमार है
ईमान अकेला है
बेईमानी की फौज तैयार है-
जो भीगी है आज मेरे भारत की धरती शहीदो के खून से तो ऐ पाकिस्तानी तेरी धरती भी कुछ सूखी नही है ।
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राँची मेरा , कराची तेरा
कश्मीर मेरा, लाहौर तेरा
भारत मेरा , पाकिस्तान तेरा
लेकिन फौज?
फौज की कहानी तो दोनो की बराबर है ।
खून पाकिस्तान और भारत , दोनो तरफ ही तो बहते है।
वतन मेरा, वतन तेरा
जान तो दोनो तरफ की जा रही है ,
फिर क्या फायदा लड़ाई का ?
क्यो बहता है नासमझी का कतरा कतरा ।-
मने घर ने गए एक साल हो गया ,,,
मने गाम की गलियां में घूमे एक साल हो गया,,,
मने अपने यारां ते मिले एक साल हो गया,,,
मने खेतां में गये एक साल हो गया,,,
मने घर का ढूध पिये एक साल हो गया,,,
मने गाम मे साथ का गेल खेले एक साल हो गया,,,
मने किसे की बरात में नाचे एक साल हो गया,,,
मने माँ के हाथ की रोटी खाये एक साल हो गया,,,
मने अपनी दादी के पाँव दबाये एक साल हो गया,,,
मने अपनी मर्जी ते जिये एक साल हो गया,,,
सारी बात ठीक से,,,,
बस मने अपने घर का ते मिले "एक साल हो गया",,,-
क्या कुछ नहीं खोया होगा एक फौजी ने,
तिरंगा ऊंचा रखने के लिए,
होली से दीवाली तक हर त्यौहार ,
सरहद पर मनाया होगा,
हमारी रक्षा करते करते,
अपने प्राणों की परवाह नहीं की होगी,
दिल रात हर पल हमारी रक्षा में लगे हैं,
ना की कभी आंधियों की परवाह,
ना कभी गर्मी की ना सर्दी की,
आए कोई भी दुश्मन तो,
सीना तान कर खड़े हैं,
हमारे फौजी देश की,
आबरू को संजोए बैठे हैं,
रहे ऊंचा तिरंगा हमारा,
हर पल जी जान लगाएं हैं।।-
वो ज़िद नही जुनून मांगता था।
आज़ादी के बदले खून मांगता था।
वो हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई नही।
बस हिंदुस्तानी हुजूम मांगता था।-
सब जानते है मजहब आतंकी का
क्या करता है वो क्या नहीं करता
हमारे शहीद जवान का नाम नहीं पता..
किन हालातों से वो डटृ कर लड़ा
खुद की परवाह किए बिना
तुम क्या जानों कितना मुश्किल होता है फौजी बनना।
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