जो कहती हो वो करके दिखाया करो
हर बार मन नहीं है की दलील देना ठीक नहीं-
खूबसूरत चेहरों ने लूट रखी हैं महफ़िलें सारी
हमारे अच्छे शेर लोगों को अच्छे नहीं लगते-
तुम मिलोगी जब भी कहीं
किसी शहर, किसी सड़क
किसी गली, किसी नुक्कड़
किसी मकाँ या किसी जहाँ में
अपने सारे मनसूबे बताऊंगा तुम्हें
जो ज़ख़्म इस दुनिया ने दिए हैं मुझे
वो सारे ज़ख़्म दिखाऊँगा तुम्हें
और लिख रखे हैं तेरे लिए अपने ख्याल सारे
तुम जब आओगी , फुर्सत से सुनाऊँगा तुम्हें
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मैंने लिख रखे हैं तुम्हारे लिए अपने ख्याल सारे
तुम जब आओगी , फुर्सत से सुनाऊँगा तुम्हें-
कुछ सपने हैं जिनके लिए मैं जी रहा हूँ
दोड़ रहा हूँ दिन भर उनके पीछे
और शाम को छत पर बस सिगरेट पी रहा हूँ
मेरे कुछ सपने दम तोड़ रहे हैं
और कुछ के पीछे मैं दोड़ रहा हूँ
एक मुझे उसके लिए कविताएँ लिखनी हैं
एक मुझे उसके साथ ज़िंदगी जीनी है
एक मुझे गिटार ख़रीदना है
एक मुझे उसके हाथ की चाय पीनी है-
तुझे याद किया और याद करके रोने लगा
रोते रोते नींद रायी और अपने बिस्तर पर सोने लगा
मैंने अपने तकिये पर सर रखा
और मुझे तेरी धड़कनों का एहसास होने लगा-
नज़रें चुराता था मैं जिनसे
चंद रोज़ पहले तक
दिल चुरा रहा हूँ उनका
उनके देखते ही देखते-
जबसे मिला हूँ उससे सब कुछ अच्छा हो रहा है
भगवान जाने वो कैसी लड़की है
मैं ग़लत को ग़लत भी लिखता हूँ
तो दुनिया उसे सही पढ़ती है-
तुमसे मिला और तुमसे मिलकर ये जाना मैंने
कि ये दुनिया मंदिर में जाकर आख़िर माँगती क्या है-
बातें करते करते उसने
उँगलियों से ज़ुल्फों को
अपने कान के पीछे किया
और उसके बाद से मुझे
उससे बिछड़ने से ज़्यादा
मरना आसान लगने लगा-