हूं मैं रोजे से
नमाजे हो_रही है अदा
मुल्क को बचाने से पहले
कोई फर्ज हो_तो बता
🇵🇸फिलिस्तीन🇵🇸-
क़े ख़ूब बदनाम करो,
सवाल करो मेरे दीन पर,
और कुछ तो शर्म करो ए लोगों,
तुम ख़ुश कैसे हो हालात-ए-फिलिस्तीन पर...-
सुना है की तुझे दर्द का एहसास नही होता,
आ तुझे शहर ए फिलिस्तीन ले चलूँ...
😭😭😥😥-
मुझसे मेरे होने की पहचान नहीं ले सकते हो,
जब तक रब ना चाहे मेरी जान नहीं ले सकते हो,,
मेरी सांसो में जलती बारू दें तो भर सकते हो,
लेकिन तुम मुझसे मेरा ईमान नहीं ले सकते हो!!-
लिखना तो और बहुत कुछ चाहता हु मगर,
फिलिस्तीन लिखते ही आँख से आंसू छलक जाते हे....-
युद्ध न शांतिप्रिय हो सकता ,ना अमन का पैगाम है ।
मारे जाने वाले गुनहगीर के बीच निर्दोष का भी बलिदान है ।
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कैसे खिलते हैं लहलहाते फूल उदासियों के मौसम में,
ये पूछो तो सही
शायद एक जवाब तुम्हारे घर के भीतर से भी आये,
फिलिस्तीनी हवा क्या पता तुम्हारे घर की खिड़कियों के आर पार भी जाती हो....-
Kuch falistniyo ne hightech izrail ke hosle kar diye past❤️
Ab kaise inkaar karoge tadaat ke maine nhi allah par imaan zaroori hai💞-