मैं चाहता हूँ तुम मुझे कभी ना मिलो,
मैं तरसता रहूं उम्र भर,
जैसे रेगिस्तान का बाशिंदा शिमला की ठंडी हवा को तरसे,
मैं चाहता हूँ तुम मुझे कभी ना मिलो,
जैसे चिड़िया किसान के डर से जल्दी-जल्दी दाने चोंच में भरे,
कि कुछ पता नहीं अगले पल दाना कब मिले,
मैं चाहता हूँ तुम मुझे कभी ना मिलो,
मैं तुम्हें इतनी शिद्दत से रोज़ इतना याद करूँ,
जैसे नमाज पढ़ते वक्त दुआएं नक्श होती है,
बिना सोचे बिना याद किए होठों से सरकती जाती है,
ठीक वैसे ही हां........ठीक वैसे ही,
मैं चाहता हूँ तुम मुझे कभी ना मिलो,
तुम्हें पा लेने का मतलब है आँखें मूंद लेना सब आसान हो जाना,
और आसान बातों की अहमियत बहुत कम होती है, है ना!
इसलिए,
मैं चाहता हूँ तुम मुझे कभी ना मिलो ॥
-