Naaz   (Aisha Naaz - عائشہ✍️)
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Joined 17 October 2020


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Joined 17 October 2020
14 MAY AT 1:48

यादों में ही बनाये जाते हैं महल
जीते-जी कौन करता है ये जहमत

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14 MAY AT 1:33

वक़्त से हारकर कहाँ जाओगे
जिस सम्त निकलोगे धोका खाओगे

नहीं कोई स्वीकारता टूटे मन को
जिधर भी क़दम बढ़ाओगे ठोकर पाओगे

अब ना रही होंठो पे हँसी और मन चंचल
अब जिस राह भी देखोगे उदासी पाओगे

कभी बस्ते थे मेरे दिलों में भी प्यार के नग़्मे
अब जहाँ भी देखोगे मुझे दर्द में पाओगे

जबसे छोड़ा उसने मेरा दामन-ए-इश्क़
तबसे मेरे दिल की गली को वीरान पाओगे

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13 MAY AT 16:00

तेरी यादें अब भी मुझे सताती हैं
बहुत ख़फ़ीफ़,हल्का,मीठा,दर्द देती हैं

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12 MAY AT 19:33

शाम ढलते-ढलते ये कैसा मनज़र आता है
तेरी यादों में लिपटा एक समुन्द्र आता है

मैं आज भी हूँ उसी साहिल पे खड़ी
जहाँ से छू कर तुम्हें पवन आता है

मैं डूबती हूँ जब शे'र-ओ-सुख़न में
तेरी यादों का इक पहाड़ आता है

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12 MAY AT 18:35

तेरी यादों की गली से मैं गुज़रती हूँ



तुझे मैं अपने मन के बेहद क़रीब पाती हूँ

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8 MAY AT 2:02

ये दर्द ठहरता क्यों नहीं
जिंदगी संवरती क्यों नहीं

कोई खुशबू नहीं हवाओं में
फूल महकते नहीं अब फिज़ाओं में

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10 FEB AT 14:45

ये कैसा कश्मकश है आज ये कैसी उलझन है
क़दम उठ चुके हैं नई मंज़िल की ओर फिर कैसा डर है

एक तरफ़ अपनों की नाफरमानी का खौफ़
दूसरी तरफ़ अपने रब की नाफरमानी का खौफ़

ये राह-ए-ज़िंदगी भी कितनी मुश्किल है
एक तरफ़ बेहद हसीन और एक तरफ़ अंधेरा है

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21 JAN AT 22:39

मेरे इश्क़ का इतिहास मिटाया गया
एक सच को झूठ बनाया गया
करके गद्दारी हमसे
चारो ओर जश्न मनाया गया

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7 JAN AT 19:32

तुम जैसे चाहो चौकीदारी करो,हम तो लोकतंत्र बस नाम के हैं
आज अगर आवाज़ उठाए तो हम ज़िंदानो में डाल दिए जाते हैं

तुम चाहो तो आज़ादी के पहले का भारत बनाते जाओ
फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाते जाओ

मंदिर-मस्जिद हिंदू- मुस्लिम,हिंदुस्तान-पाकिस्तान करते जाओ
बेरोज़गारी,शिक्षा,सैनिकों की शहादत,किसानों की फ़सल और बेटियों की इज्जत से खेलते जाओ

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2 JAN AT 18:18

दिन तो भीड़ में खो जाती है

राह-ए-ज़िंदगी में सुकूं कहां है
शाम तन्हाई में गुज़र जाती है

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