आत्म पथ का पथिक हूँ मैं
प्रज्ञा का दीप जला कर
अंतिम पथ का राही हूँ
आत्म पथ का पथिक हूँ मैं
-
🌷निरर्थक चर्चा अधर्म हैं 🌷
🙏शील, समाधि, प्रज्ञा धम्म है🙏
वह अपने वर्तमान के विषय में संदेहशील होते थे -
1) क्या मैं हूँ ?
2) क्या मैं नही हूँ ?
3) मैं हूँ क्या ?
4) मैं कैसे हूँ ?
5) यह प्राणी कहां से आया हैं ?
6) यह किधर जायेगा ?
दूसरों ने विश्व के आरंभ के विषय में प्रश्न पूछे।
विश्व को किसने पैदा किया ?
क्या संसार अनंत हैं ?
जो शरीर हैं, वही जीव हैं ?
शरीर अन्य हैं, जीव अन्य हैं ?
ऐसे प्रश्न और ऐसी चर्चा निरर्थक हैं । इनसे प्राणीयों का कोई कल्याण होने वाला नहीं हैं
आज के वैज्ञानिक युग में भी अधर्मी लोग उन निरर्थक प्रश्नो में भोली-भाली जनता को उलझाए रखते है और उनका शोषण करते है।
मनुष्य के कल्याण के लिए,सुख व शान्ति के लिए आवश्यक है सदाचार का जीवन।
अधर्मी और पाखंडी धर्म के ठेकेदार समाज को काल्पनिक आत्मा और परमात्मा को ढूंढने के लिए ललचाते है। जो नहीं है वह भला कहां से मिले? इसलिए अधर्मी ठेकेदार बार बार काल्पनिक कहानी बनाकर, बदलकर लोगों को बेवकूफ बनाते है। इसलिए सावधान सावधान होना ज़रूरी है
मनुष्य के सुख के लिए शील, समाधि और प्रज्ञा ही उत्तम मार्ग है?
नमो बुद्धाय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻-
कर्म शक्ति का पालन कर
कर्मो के उदय से ही मनुष्य
अंधकार से
प्रज्ञा के प्रकाश की ओर
गमन करता है-
हे मानव
अंधकार के घट को लेकर
क्यों तम के पथ पर चलता है
प्रज्ञा दीप जलाने का
नहीं प्रयोजन करता है
चैतन्य को चेताने का
नहीं साहस भरता है
इसीलिए इस संसार में
नरक का उपभोग करता है-
हे प्रकृति पूछ अपने उद्योगी पुत्रों से कहां गए वो रंग बिरंगे हरे भरे फल फूल पत्तीदार पेड़ पौधे क्या वो स्वयं पुरुष प्रकृति को भूल गए।
-
#बुद्ध और उनका धम्म
बुद्ध और उनका धम्म शील, समाधि और प्रज्ञा का मार्ग है। शील, समाधि और प्रज्ञा की त्रयी उल्लेखनीय है।
-पूर्ण लेख अनुशीर्षक में पढ़ें-
-
प्यार,नफ़रत,खुशी,गम ये तो बस विकार है,
प्रकृति वाला धर्म ही, सबसे महान है ।।-
संस्कृत निष्ठ हिंदी
अंग्रेज़ी कविता पढ़ कर हम कहते हैं
"कूल मैन, इंटेलिजेंट स्टफ़"!
हिंदुस्तानी में लिखी रचनाओं में
हमें होता है महसूस अपनापन,
उर्दू शायरी में वाह है, क्या बात है!
फिर क्यों महाभारत भर रह गयी
प्रिये संस्कृत निष्ठ हिंदी ?
-
लौट जाऊंगा उन्माद में,
सत्य को गहनता से,जानूंगा,
धर्म की ताक़त को मानूंगा।
प्रज्ञा को जगाऊंगा,
विकारों को जड़ से मिटाऊंगा।।-