अंत में तो सब ठीक हो जाएगा,
सब भला हो जाएगा,
सब चिंताओं से मुक्ति मिल जाएगी।
पर मस'अला शुरुआत और अंत के बीच
की इस अवधि, इस दौर को जीने का है
जिसमें वय अवस्था है, जिसमें प्रौढ़ावस्था है
जिसमें कुछ कुछ उम्र बढ़ने की मालूमात है।
बस यहीं चूक जाते हैं हम...-
आदमी की सबसे बड़ी ताक़त उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी है।
और उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी उसकी सबसे बड़ी ताक़त है-
आज के दौर में
आदमी का सीधा सरल स्वभाव
उसकी ताक़त नहीं बल्कि उसकी कमज़ोरी है।
सीधे न रहे, न सरल रहें,
वरना छले जाएंगे, वरना पीड़ा पायेंगे।-
ग़म यह है कि तुझसे मुलाकात नहीं होती....
सुकून इस बात का है कि तू मुझसे जुदा नहीं।-
कभी कभी हम
बेहतरीन की तलाश में
बेहतर को भी खो देते हैं
और बाद में
पछताते हैं कि जिसे हम
बेहतर समझ रहे थे वही बेहतरीन था...।-
जब तक प्रेम नज़रों के सामने रहता है
हम करते हैं उसे नज़रंदाज़।
लेकिन जब प्रेम हमसे दूर चला जाता है
हम उसे अपने निकट लाने की कोशिशें करते हैं।
ये विडंबना प्रेम की नहीं, प्रेमी की है...-
प्रेम सूरज है जो बादल घिरने पर
रात के आने पर
छिप तो सकता है मिट नहीं सकता।-
प्रिय अनुराधा,
कैसी हो तुम? मैं ठीक हूँ, ख़ैर तुमसे ये बताना तो भूल ही गया पिछले दिनों मसूरी के मॉल रोड पर लायंस क्लब की ओर से एक मुशायरे का आयोजन किया गया था। जोशी जी के कहने पर मैंने भी इस मुशायरे में शिरकत की और अपनी ग़ज़ल, "तेरी शोख निगाहों के ऐसे नज़ारे हैं, काली रात के जैसे चमकते सितारे हैं" पढ़ी। उसके बाद तो युवाओं ने एक के बाद एक ग़ज़ल सुनने की गुज़ारिश की। मैंने तक़रीबन पाँच शायरी सुनाई, उसमें तुम्हारी पसंदीदा कविता, "तुम्हारी प्रतीक्षा में एक दिन..." भी शामिल थी...-
कभी कभी हम
उन लोगों के
दोस्त बन जाते हैं
जिन लोगों की
दोस्ती हमारे हाथ नहीं आती।-
गुण तुममें एक भी नहीं
अवगुण इतने सारे हैं,
देखो लेकिन हमें फिर भी तुमसे मोहब्बत है...-