Su'Neel Kumar   (नील/Neel)
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Joined 12 November 2019


Joined 12 November 2019
14 HOURS AGO

दिल ने देखे हैं मंज़र ग़म और ख़ुशी के
चंद पल परेशानी के, चंद पल हँसी के

न अच्छे हैं और न बुरे हैं बस मौज़ूद है
धुंधले और उजले रंग इस ज़िन्दगी के

वो कहीं के नहीं रहते हैं जो एक बार
दिल देकर हो जाया करते हैं किसी के

अपनी फितरत किसी से नहीं मिलती
हम यहाँ के हैं नहीं हम हैं और कहीं के

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19 HOURS AGO

देर से ही सही राही मंज़िल पे आएगा
लहरों का मुसाफ़िर साहिल पे आएगा

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11 AUG AT 21:27

तुम्हे तुमसे कोई इतनी मोहब्बत न करेगा
देखेगा जरूर पर हम सी हसरत न करेगा

तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुर्बान कर देगा जो
ख़ुद को तुम से कोई ऐसी चाहत न करेगा

तुम्हारे बाद हमने सिर्फ तुमको ख़ुदा माना
तुम्हें पसंद करेगा हमसी इबादत न करेगा

ये हमारी वफ़ा है तुम से वायदा है ख़ुद से
ये बंदा कुछ करेगा तुमसे नफ़रत न करेगा

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11 AUG AT 21:14

तुम्हें बहुत मिलेंगे सहारा देने वाले
हम सा साथ देना वाला,
प्यार देना वाला न मिलेगा।

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11 AUG AT 21:13

थोड़ा वक्त लगेगा,
अभी दिल से निकाला है
आगे ख़्यालों से भी निकालेंगे।

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11 AUG AT 20:06

जब आप बेहतरीन की तलाश में निकलते हैं
तो बेहतर आपको मिल ही जाता है

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11 AUG AT 9:05

जगत में न पूरी तरह कुछ सत्य है
न पूरी तरह असत्य। ये जगत जो
देख रहे हैं अबसे पहले नहीं था,
और अब है, और अबके बाद नहीं
रहेगा। तो जो भी सत्य है वो असत्य
के नज़दीक है और जो भी असत्य है
वो सत्य के क़रीब है।

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11 AUG AT 8:08

समाज के तानेबाने ने कुछ बातों को
तोड़ मरोड़ के पेश किया है प्रस्तुत किया है।
उसमें से एक वासना बारे में है
लोकजीवन में फैली भ्रांति और नासमझी।
ऐसा नहीं कि ये भ्रांति और नामसाझी
समाज के अनपढ़ तबके में है, बल्कि
तथाकथित "पढ़ा-लिखा" वर्ग इस दोष
से ग्रस्त है। अगर वासना ग़लत होती तो
बुद्ध, महावीर, नानक, कबीर, रैदास भी
उसी वासना से पैदा हुए हैं।
यही वासना सृष्टि में सृजन का मूल है।
ये वही शक्ति है, जिसे ईश्वर तुल्य कहा गया है।
फ़र्क सिर्फ़ नज़रिए का है। और अग्रेज़ी का
"Lust" शब्द वासना का
कदापि समतुल्य नहीं हो सकता।

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10 AUG AT 21:34

कितना मुश्किल था पहले अब कितना आसान है
कुछ बोझ मन के उतारे, इत्मिनान ही इत्मिनान है

जैसा भी है हमको अपना लहज़ा प्यारा लगता है
कहने वालों कहते रहो के हममें अकड़ है गुमान है

हम भी सिखा ही दिया दुनिया जीना का सलीका
दिल पर हज़ारों बोझ है और चेहरे पर मुस्कान है

ये दिल भी बार बार बेवजह परेशान होता रहता है
सच से वाक़िफ़ है मगर फिर भी बाबरा नादान है

तू जी तो रहा है हकीकत के साथ साथ मगर नील
सच से कोसो दूर, हक़ीक़त से अभी भी अंजान है

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10 AUG AT 14:53

हमारे दुःख में जो भागीदार रहा है
वो ही हमारे सुख में हिस्सेदार होना चाहिए।

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