प्रज्ञा मिश्र   (Pragya Mishra 'पद्मजा')
272 Followers 0 Following

Content Creator, Podcaster , Blogger at Shatdalradio, Radio Playback India and Mentza
Joined 20 September 2018


Content Creator, Podcaster , Blogger at Shatdalradio, Radio Playback India and Mentza
Joined 20 September 2018

प्रेम में सही गलत नहीं होते
केवल प्रेम में होते हैं
केतकी ब्रह्मा के प्रेम में होगी
शायद इसलिए वो
अनंत ज्योतिर्लिंग के समक्ष भी
झूठ सकार बैठी

-



सागर में कितने मोती हैं
उनमें से कुछ चुन कर
दुनिया के भोगने के लिए
मछुआरे बाहर लेकर आते हैं
कुछ वे अपने पास रखते हैं
कुछ बाज़ार के हवाले करते हैं
कुछ बाज़ार तुम तक पहुंचाता है
कुछ का तुम प्रयोग करते हो
कुछ अलमारी में रखते हो
तुम जितना अर्जित कर पाए
वह सब कुछ हरदम कम होगा
ज्ञान की खोज अनंत ज्योतिर्लिंग है
जिसका कोई ओर छोर नहीं होगा।

-



पहले पक्की मज़बूत चीज़ें करो
जो अभाव में आदमी
जीने के लिए करता है,
उतना ही ज़रूरी है,
बाकी शौक का मामला है।

-



बादल की दुनियां में
पांव रखने के लिए
ज़मीन नहीं होती
दूर से दिखती
उजली लंबी सड़कें
महज़ पानी का बुलबुला हैं

-



छोटी छोटी उपलब्धियां
उत्साह भरती हैं,
आगे की सीढ़ी होती हैं,
कुछ बड़ा करने का
मार्ग प्रशस्त करती हैं,
उनका उत्सव मनाना चाहिए।

-



भारी लोग इतने
हल्के क्यों होते हैं,
हल्के लोग इतने
भारी क्यों पड़ते हैं
तय था जिनका साथ होना
अंत में हरदम
वे ही क्यों झगड़ते हैं?

-



शरीर भी एक कपड़ा है अस्तित्व का
चुनिए संभल कर रंग अपने व्यक्तित्व का

-



अत्र गच्छतु
अहं तत्र गच्छतु
स्खलितः
अहं भवता
सह अस्मि गच्छतु

-



आत्मा लज्जित करती है पूछ कर
कि यह शरीर उसका निवास स्थान
इतनी कम उम्र में जरावासन सा क्यों है

कि सोचने का वजन भी अलग से पता चले
भारी भरकम मकान सा क्यों है
इसपर कुछ काम करो
मॉर्निंग वॉक और व्यायाम करो

जितना एलोटेड है उससे अधिक
जीने के इंतजाम करना है तुम्हे
इस दिए गए शरीर के मध्यमा से
अभी मुझे बहुत कुछ सिखाना है तुम्हे।

-



तुम्हारा न होना ही होना है
याद सालती रही
जब चली गईं तुम

जब तक था मालूम
कि कहीं मौजूद हो
खूब अनदेखा किया
जाने कहां बसीं तुम

जबसे लगने लगा है
कि यहीं कहीं हो
दिल उदासी में डूबता है
की शायद नहीं रहीं तुम.

-


Fetching प्रज्ञा मिश्र Quotes