सिलबट्टे सा बैठा है दिल कोई बुरा सपना आया हो जैसे थकान की चादर में लिपटी है सुबह रात ने आतंक मचाया हो जैसे रोज़नामचे का पन्ना कोरा रह गया मन का बोझ कलम पर उतर आया हो जैसे
सिलबट्टे सा बैठा है दिल कोई बुरा सपना आया हो जैसे थकान की चादर में लिपटी है सुबह रात ने आतंक मचाया हो जैसे रोज़नामचे का पन्ना कोरा रह गया मन का बोझ कलम पर उतर आया हो जैसे
चूंकि सत्य एक ही है, इसलिए सब रास्ते उसी ओर जाते हैं, "वैसा होता तो ऐसा होता" ऐसा सोचना ही चित्त की दुर्बलता है, भटकाव है, चुनौती है इसे स्वीकार करो अपने आप से बात करो