प्यासे तुम भी हो प्यासे हैं हम भी कहीं...
अधूरे तुम भी हो और पूरे हम भी नहीं...!-
ख़्वाब मेरे थे सनम तभी तो अधूरे हैं
गर तेरे होते ख़ुदा क़सम पूरे कर देता-
" आधा चाँद "
सुनो न.....
शरद की श्वेत चाँदनी रात्रि में बादल के रेशमी झूले में झूलते हुये उस आधे चाँद को क्या कभी तुमने गौर से देखा है ??
गहरे काली रात में, हल्के काले बादलों से घिरे हुये नीले आकाश में, वो पूरे संसार में श्वेत शहद सी चाँदनी बिखेरती हुई, बेखौफ़ चलती रहती है, या कहूँ बहती रहती है निर्मल गंगा सी,,
मैं अक्सर प्रश्नकुल बहुत उदास मन लिए, अश्रु रोंके, बस एकटक उसे निहारती रहती हूँ, और केसरिया चाँदनी रात्रि की वो मध्यम ठंडी हवा का एहसास मेरे मन को कितना सुखद अनुभव प्रदान करती है,मानो उस हवा के संग मेरे सारे प्रश्न बह गए हों,,
क्या तुमने कभी अपने छत में या किसी वृछ के नीचे बैठ के उस चाँद को निहारा है, उसके श्वेत चाँदनी प्रकाश को खुदकी हथेली में महसूस किया है ?
अगर नहीं तो...करके देखना..,,,
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और तुम्हें पता है... मुझे वो आधा चाँद कुछ हम-सा लगता है.....
" कभी आधे-अधूरे तो कभी पूरे पूरे "
मैंने सही कहा न !!-
आंख दिखाकर,
लौट रहा है वीर हमारा।
पूरे भारत का आपको सलाम है।
प्रिय अभिनन्दन जी,
सारे भारतवासी बाहें फैलाये,
आपका अभिनन्दन करने को तैयार हैं।
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सपने ही तो हैं अपने, सपने बहुत बड़े है मेरे।
उससे बड़ी उम्मीदें, हो इबादत पूरी मेरी हैं,
यही दुआ है, खुदा से मेरी ।।
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आधी
दुनिया के
पूरे...
कड़वे सच...!
कभी
फ़ुर्सत में
पूछना
स्त्री से...!!-
"आँखों में ख्वाब रोज ही आते हैं
कभी अधूरे तो कभी पूरे होते हैं
ख्वाब तो पूरे उनके ही होते हैं
जिनके अपने साथ जुड़े होते हैं
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