मैं पुरे से ज़रा सी कम हूँ,
मगर इतनी की पूरे की ज़रूरत
पूरी तरह से ना ही महसूस हो।
मेरी शुभ्रता, परिचय है मेरे धैर्य का।
मेरा आकार, प्रमाण, मेरी शून्यता का।
मैं सब नहीं हो कर भी बहुत कुछ हूँ
मैं बहुत कुछ हो कर भी सब नहीं हूँ।
मैं चाँद हूँ एकादशी का
और तूम चतुर्थी का चाँद हो।
पूजा होगी, तुम्हारी और मेरी,
व्रत भी, तुम्हारे और मेरे।
हम साथ हो कर पूनम हो सकते थे।
व्रत व पूजा हो सकती थी हमारी भी।
मगर तुम्हें मंज़ूर नहीं अपना पक्ष बदलना,
और मुझे मंज़ूर नहीं अपना पक्ष बदलना।
-सुप्रिया मिश्र-
पाने के लिए उसे- "यज्ञ, हवन, मंत्र, पूजा" सब किया मैंने,
वो तो न मिली, मगर "रब" जरूर आ गया मिलने मुझसे ❤️-
रिश्ते खून के रिश्ते प्यार के
हर रिश्ते का एक अलग एहसास है
पर दोस्ती वो रिश्ता है
हर किसी के जिंदगी का
जिसकी नीव सिर्फ विश्वास है
दोस्त प्यार है दोस्त यार हैं दोस्त जान है
पर सच्चा दोस्त ही दोस्ती की सही पहचान है
दोस्त है तू यार है अपना
कहते सब हैं लेकिन निभाता
हर कोई नहीं है और जो
कुछ कर भी न सके
आपका फिर भी साथ न छोड़े
सही माईने मे सच्चा दोस्त
वहीं है दूरियां आ जाए
कभी जिंदगी में तो भी
दिलों मत लेना कभी तुम
चले जाना हमसे मिलने तो
कभी हमें बुलाना जो रिश्ता
बनाया है खुद से सच्चा दोस्त
बन के मरते दम तक निभाना
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होली के अगले दिन
रंगे हुए बदले चेहरों में
और बिन रंगे चेहरों में
बस उतना ही फ़र्क है
....
जितना कि
पूजा की थाली में
कुमकुम से लिपटे
एक ओर रखे
लाल अक्षतों
और उन्हीं से सटकर रखे
सफेद अक्षतों में !!!
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कभी कमरा, कभी खिड़की, कभी आसमान लगते हो
कभी मंदिर, कभी पूजा, कभी भगवान लगते हो
नहीं कुछ भी, तुम्हारे बिना, सब कुछ हूँ तुम्हारे संग
मिले जब से हो तुम मुझको, मेरी पहचान लगते हो-
माँ दुर्गा के नवम दिवस को "माँ सिद्धिदात्री" की उपासना की जाती है।
मेरे भक्तों! ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने के लिए जानी जाती है।
आज के दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ पूजा
साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।
सृष्टि में कुछ भी उसके लिए फिर अगम्य नहीं रह जाता है "अभि"
ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।
माँ सिद्धिदात्री को देवी "सरस्वती" का भी स्वरूप माना जाता है।
इच्छाओं की सिद्धि व पूर्ति करने के लिए माँ सिद्धिदात्री कहलाती हैं।
माँ सिद्धिदात्री की आराधना से अणिमा, लधिमा, प्राकाम्य, महिमा,
प्राप्ति, सर्वकामावसायिता, ईशित्व, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध
व अमरत्व भावना सिद्धि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है।
माँ को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा भोग लगता हैं।
नवरात्रि के शुभ नौवें दिन ही कन्याओं को बुलाकर कन्या पूजा किया जाता है।
माँ की अनुकंपा से ही भगवान शिव को"अर्धनारीश्वर" रूप प्राप्त हुआ था।
"सिद्धिदात्री" को प्रसन्न करने के लिए बैंगनी रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
देवी दुर्गा के नौ रूपों में यह सिद्धिदात्री रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप है।
माँ लक्ष्मी सदृश्य माता सिद्धिदात्री भी कमलासन पर विराजमान होती हैं।-
आदिशक्ति मां दुर्गा की आठवीं स्वरूपा ‘‘माँ महागौरी’’ के पावन चरणों में सादर प्रणाम ।🙏
आप सभी को दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
माँ से सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, निरोगी व कल्याण की कामना करता हूँ।-