किसी के इंतजार में,
पुरानी किताब सी
उस बंद संदूक में पड़ी..... मैं
जमें पड़े उस पर धुल के
कुछ कण कुछ बिखरें पन्ने तो
कुछ मिट चुकें उसके..... शब्द
नज़र पड़े उस पुस्तक प्रेमी की
जिसके इंतजार में इस हालत में
बरसों से बंद पड़ी... मैं!!
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✨✍️किताब एवं कीड़ा - शिकायत✍️✨
....(किताब की कलम से)
करवट बदल बदल के वह
मेरा आशिक मुझको घुर रहा था।✍️
याद जो उसको आई मैं
वह दिनों तक मुझसे दूर रहा था।✨
तब भी मुझे न भूला कभी
सदा याद किया मेरे पन्नों को।✍️
संग जो उसके मैं न रही,
वह दूर था लेकर सपनों को।✨
कुछ बनने की थी मन में चाह
तभी पढ़ पूरा मुझको दुत्कार दिया।✍️
कई नई से उसका पाला पड़ा।
पर भुला न मुझे, रोज याद किया।✨
अब मित्र मेरा होशियार बने, यह मन की मेरी, बड़ी चाहत है।
होगी खुशी कुछ गुणों में यदि उसे मिलती थोड़ी बादशाहत है।✍️
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मेरा सबसे अच्छा मित्र
वो इन्सान है, जो मुझे ऐसी
किताब दे जो मैंने पढ़ा ना हो।-
मन का पुस्तक खोलने
का मेरा भी बहोत मन करता है
पर अक्सर मै खामोश ही रहता हु-
जब परिस्थितियॉ समझ से परे हो
तब इंसान को
कुछ अच्छी पुस्तकों का सहारा
लेना चाहिए..!-
खुलती है नींद जब मौन से
रिश्तों से जब बफा मिलती है
तब किताब साथ देती है
देती है एक अनछुआ सा एहसास
हर रिश्ते में आस
बंधन से मुक्त होने का रास्ता
बिन मोल का सहारा
हर पन्ने के रहस्य से मिलवाकर
हर पन्ने की पलटन से लेती सांसे और भर देती है प्राणवायु,,
करती है कुछ ऐसा काम
जो तन मन को शुद्ध कर देता है
हर सुख को अपने कवर सा बना देती है
और दुःखो को पन्नो सा,, शुरुआत और अंत सुख ही है
बस अंदर कर्म है,प्रारब्ध है,बंधन है,
और अंदर हम स्वयं है,उसमे लिखे हर अक्षर में
समाहित है
पढ़ो और बदलो प्रारूप जीवन का,,
कभी देखो तो उन एक एक जुड़े अक्षरो को
शब्द बनते और फिर पन्नो के साथ उनका समागम,,,
कभी हाथ में रखो किताब ज़िंदगी बदलने को बैठी है वो,,
तरस जाती है कुछ खुलने को,,जिनपर धूल की चादर पड़ी है
वही रच देती है इतिहास व्यक्ति के जीवन में
मुक्त करती है वो उसको महात्मा बनाकर
और ताउम्र करती है सफर फिर इंतज़ार में
कि अब कौन आये छुए और तर जाए...
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जीवनात 'पुस्तकं' आणि 'माणसं'वाचता आली पाहिजेत, कारण वाचलेली पुस्तके आंतरज्ञानात भर पाडतात आणि वाचलेली माणसं बाह्यज्ञानात भर पाडतात.
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