बने हुए सारे अफसाने खत्म हुए,
टूट-टूट कर सब दीवाने खत्म हुए।
रफ्ता-रफ्ता दफ्न हो गए सब अरमां,
मिलने के फिर सभी बहाने खत्म हुए।
लगी उजड़ने खिली बहारें मौसम की,
वक्त आ गया सफ़र सुहाने खत्म हुए।
नई सदी ने बसा लिए हैं शहर नए,
बसे हुए कितने शामियाने खत्म हुए।
मसरूफ जिंदगी ने तोड़े रिश्ते नाते,
एक-एक कर दोस्त पुराने खत्म हुए।
बड़ी अकड़ थी, नहीं किसी की सुनते थे,
खबर मिली है आज फलाने खत्म हुए।-
लेखन ❤️
पुस्तकें 📚
प्रकृति 🌿
आगरा 🇮🇳
#भानुप्रतापभदौरियाकीकलमसे
#दोहे_भानुप... read more
सब कुछ मिल गया है मुहब्बत के फसाने में,
बस उसकी चिट्ठी की कमी है मेरे कुतुबखाने में।-
किसी को दूसरा मौका यहां कुदरत नहीं देती।
गम तो सैकड़ों देती है, पर कुर्रत नहीं देती।
जिओ जितनी मिली है जिंदगी खुल कर के तुम यारों,
जब भी मौत आती है कोई मोहलत नहीं देती।
कड़ी मेहनत से मिलती है बुलंदी आसमानों सी,
एक दो रात की मेहनत कभी शौहरत नहीं देती।
बड़ा पाकीज रिश्ता है, दुनिया में मुहब्बत का,
ये रूह को पाक करती है कोई तोहमत नहीं देती।
उसकी इक झलक को था आतुर ये जहां सारा,
नज़र आई तो जाना बात क्यों हैरत नहीं देती।
सदा ईमान से 'भानू' कमाओ, धन औ' दौलत तुम,
बिना ईमान की दौलत कभी सल्वत नहीं देती।-
पास उसके हम नहीं हैं।
फिर भी कोई गम नहीं है।
मुहब्बत है बहुत गहरी, पर
फासला कुछ कम नहीं है।
ज़ख्म भी ज़्यादा नहीं है,
सो नमक है मरहम नहीं है।
हर जगह बारूद फैली,
कहते हैं, कोई बम नहीं है।
कोई न जाने कौन कितना,
सच है ये वहम नहीं है।
टूट कर बिखरा पड़ा है,
आँख फिर भी नम नहीं है।-
खुदा तुझे खुशियों से लबरेज़ रखे।
और सारे गमों से तेरा परहेज़ रखे।
तुझे इश्क मिले जो तेरे हक का है,
मुहब्बत जिदंगी में दिल-आवेज रखे।
तेरी रानाई हर कदम पर तेरा साथ दे,
रब तुझे बरकत दे, दिमाग तेज़ रखे।
खिल उठे वो जगह जहां तेरे क़दम पड़ें
रब तेरे कदमों तले फूलों की सेज रखे।
जो भी तेरी खुशी के लिए हो जरूरी,
इस वर्ष सब मिले, तुझे सातेज रखे।-
इश्क में रंगीन ख्वाबों की दुनिया।
मानो हो सुर्ख़ गुलाबों की दुनिया।
घनघोर अंधेरों के साए में बहकी,
जलते हुए आफताबों की दुनिया।
लोगों के हिस्से में आई कभी न,
हुस्न को छिपाए हिजाबों की दुनिया।
है अफसाने कितने दफ़न हो गए हैं,
सच को दबाए किताबों की दुनिया।
कोई भी उत्तर मिला न कभी भी,
उलझन भरे सब जबाबों की दुनिया।
कोई कितना रुकेगा कोई भी न जाने,
'भानू' ये महज है हबाबों की दुनिया।-
उसके बाद न मिले मुझे प्यार का कभी कोई अंश भी,
ए खुदा! उससे जुदा होने की इतनी सज़ा तो मुकर्रर कर।-
चलो मुहब्बत करते हैं, क्यों बैठे हो।
उठो इबादत करते हैं, क्यों बैठे हो।
कब तक अनजान रहेंगें दोनों ही,
चलो रिफ़ाक़त करते हैं, क्यों बैठे हो।
बहुत सह लिया उनके झूठे वादों को
चलो बगावत करते हैं, क्यों बैठे हो।
प्यार में कुछ भी हासिल नहीं हुआ,
सुनो अदावत करते हैं, क्यों बैठे हो।
शजर तोड़ने आए हैं सय्याद कई,
चलो हिफाजत करते हैं, क्यों बैठे हो।
बर्बाद न करो जिंदगी को "भानू"
चलो जियारत करते हैं, क्यों बैठे हो।-