धूमिल होती स्मृतियों की छवि पुनः इन्हें जीवंत कर दो निशब्द मौन से प्रेम में शब्दों के रंग भर दो
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तुम खत्म नहीं होते कभी
जितना भी उडेलती हूँ बाहर की ओर
पुनः भर-भर जाते हो मुझमें
किसी ढीठ बच्चे की तरह।
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पुनः प्राप्ति
काही गोष्टीच्या पुनः प्राप्ति साठी
वैध संबधच कामी येतात
आणि जिथे संबंध वैध नसतो
तिथे गोष्टीचा साठा तयार असतो
#काव्यात्मकअंकुर🌱-
पुनः एक प्रयास, देखो आ गया ना, हमारा अपना खोया हुआ एक आत्मविश्वास, ना की एक इंसान हार गया, बल्कि वो तो जीत गया, सभी के दिलो पर अपनी एक सकारात्मक छाप छोड़ गया।
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शिकायत कोई आपसे नहीं है
शिकायत तो स्वयं से है
समंदर की दरिया में हम अकेले है
मंजिल की इस बेतुकी चाल में
नाराज हमसे हमारी जिंदगी है।।
कौन कहे अब चले या थम जाए
यहां से कही सफर में निकलने
का मेरा अब कोई इरादा भी नहीं।।
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अब इक्किस दिन के लिये, पुन: हो गयी कैद |
कैद हुयी अच्छा हुआ, खतरा हुआ निषेध ||
खतरा हुआ निषेध, जिन्दगी रहे निरोगी |
लाठी होगी चार्ज , उठे जो कदम विरोधी ||
कहते स्वाभीमान , महामारी ये कबतक |
रोती वसुधा मात, कैद इक्किस दिन की अब ||
#स्वाभिमान-