पीछे मुड़कर देखा -
जब लगे -
आगे बढ़ने की धुन में
खुशी पीछे छूटी है तो
पीछे मुड़ना , पाप नहीं
जब लगे -
जीवन दौड़ की प्रतियोगिता नहीं
आनंद की प्रक्रिया है तो
थोड़ा थमना , अथाह नहीं
जब लगे -
कदम आगे दौड़े या पीछे मोड़ें
अंत सभी का एक है तो
आदर्श बातें , यथार्थ नहीं I
- प्रज्ञा प्रांजली
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