ये नया हिंदुस्तान हैं.......
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,बेकसूरों की हत्या से,
प्रवचनों में नहीं, क्रिया रूप में भी शांति-सद्भाव चाहिए-
चोरी की झूठी अफ़वाह फैलाकर रचा गया षड्यंत्र,
दो दिव्य संतो को भीड़ ने मार डाला पीट-पीटकर-
गोदाम भरे अनाज
भूखे मजदूर हैं आज
श्रमिक व्यथा की हाय लगेगी
बिगड़ जाएगा समाज
पन्नों पर हो रहा काज
बंद धन संदूक दराज
पेट की अग्नि पूछती है
क्या यही है राम राज..??-
संत सताए तीनो जाऐं-
तेज,बल और वंश,
ऐसे-ऐसे कई गये,
रावण ,कौरव और कंश।
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संविधान की अर्थी पर कुछ लोग फूल यूँ चढ़ा गए
भारत में रहकर भारत के आदर्शों को वो जला गए
लाठी का हर एक प्रहार, हुआ जो उस वृद्ध काया पर
महाराष्ट्र के दामन पर काला धब्बा छोड़ गए
राजनीती हावी होती जँहा धर्म और नीति पर
हुक्मरान आज फिर वँहा के, कीर्तिमान नया बना गए
मराठा भूमि पर बन कलंक, जो बैठे हैं बड़े दफ्तर में
यह उन्ही की मेहरबानी, यह दिन भी आज दिखा गए-
अब क्या कहें कि इंसानियत कैसे शर्मसार सरेआम हो गया,
निहत्थों को मारकर, गुनेहगारों का नाम हो गया ?😕
खाकी वाले तो यकीनन बहादूर होते हैं,
तो क्या बहादुरी की कीमत लग गयी ?जो पालघर में एैसा काम हो गया
चलो सरकार की बात मान भी लें ,कि भूल से चोर समझ लिया था उनको 🤨
इसकी सजा कानून देती, एैसे कैसे कत्ले-आम हो गया?
ये वर्दी कातिलों से डरने के लिए नही उन्हें डराने के लिए है ,
फिर एैसे क्यों वर्दी की इज्जत, नीलाम हो गया?
सुनकर स्तब्ध था Aksh, कि बोलूँ क्या इस पर 😚?,
इस महान हुजरों की टोली पर कैसे हैवानियत का परचम महान हो गया?
कितनी कीमत मिली है ,इस साजिशन हत्या की?
संतो की निर्मम खून का कितना करोबार हो गया?
अब क्या कहें कि इंसानियत कैसे शर्मसार ,सरेआम हो गया?🤨
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समय तुम्हें भी धृतराष्ट्रों में गिनेगा ग़ालिब
धर्म के चीर-हरण पर तुम भी मौन थे-