उपनिषद का अर्थ है
आओ निकट बैठो
बस यही वेदों का सार है-
सबका विकास
सबका विश्वास
सबका प्रयास
सबका अहसास
सीताराम सीताराम, सीताराम कहिए
जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए-
करम बचन मन छाड़ि छल, जब लगि जनु न तुम्हार।
तब लगि सुखु सपनेहुँ नहीं, किएँ कोटि उपचार॥
~ श्रीरामचरितमानस-
श्रोता गण जो एक राजा की पुत्री है
एक राजा की पुत्रवधू हैं
और एक चक्रवती सम्राट की पत्नी है
वही महाराणी सीता
वनवास के दुखो में
अपने दिनो कैसे काटती हैं
अपने कुल के गुरुवर और
स्वाभिमान की रक्षा करते हुये
किसी से सहायता मांगे बिना
कैसे अपने काम वो स्वयं करती है
स्वयं वन से लकड़ी काटती है
स्वयं अपना धान कूटती है
स्वयं अपनी चक्की पीसती हैं
और अपनी संतान को
स्वावलंबन बनने की शिक्षा कैसे देती है
अब उसकी करुण झांकी देखिये
(Read in caption )-
जम्बूद्वीपे भरतखण्डे, आर्यावर्ते भारतवर्षे
एक नगरी है विख्यात, अयोध्या नाम की
यही जनम भूमि है, परम पूज्य श्रीराम की
हम कथा सुनाते, राम सकल गुणधाम की
ये रामायण है, पुण्य कथा है श्रीराम की-
बड़े भाग मानुष तन पावा।
सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्ह गावा।।
~ श्रीरामचरितमानस-
अपि स्वर्णमयि लंका न मे रोचते
जननीजन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
~ बाल्मीकि रामायण-
हरि नाम का जाप कर, गंगा जल पी लेना
पीकर फिर आराम से जानी, जुग जुग जी लेना
यदि फिर भी ना मिले तुझे, आराम
तो रक्षा करें तेरी, सिया राम
सियाराम सियाराम, सियाराम सियाराम
~ मनोज कुमार-
तुम्हीं ने बनाया ये संसार मां
ये चंदा सितारे सूरज आसमां
ये पर्वत ये झरने ये फूल और वन
जिसे देख मन हो रहा है मगन
तेरी किरपा का कोई अंत नहीं है
~ सरदार लखविंदर सिंह लक्खा-
हमारे साथ श्री रघुनाथ
तो किस बात की चिंता
शरण में रख दिया जब माथे
फिर किस बात की चिन्ता-