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क्या लिखूं मैं अपने बारे में इक आजाद परिंदा हूं
कोशिश दुश्मनों ने की मारने की,पर फिर भी आज जिंदा हूं।
आशियाना ढूंढ के थक गए सब,वो क्या जाने,
मैं तो अपनों के दिलों का बाशिन्दा हूं।
मेरे दोस्तों के और भी कई दोस्त होंगे,
पर उन सब में मैं उनका चुनिंदा हूं।
कुछ ऐब तो होंगे मुझमें भी पर फिर भी,
अपने किरदार से सबके दिलों में जिंदा हूं।
बस इतना कहूंगा अब मैं अपने बारे में,
अगर मेरे दोस्त सुदामा हैं,तो मैं उनका गोविंदा हूं।-
"मुझको हवा में उड़ता देख क्यूं छटपटा रहे हो।
पानी में खुश रहो कि तुम मछली हो।
मेरी तरह उड़ने की भूल ना करो।
मर जाओगे।"
--एक परिंदा
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कभी लौट के आते नहीं देखा उस परिंदे को , जो इक बार दरवाजा खुला छोड़ के चला गया.......
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आख़िर क्यों तुम रोक रहे हो उड़ते हुए परिंदों को ,
अगर सच मे दम है तो पकड़ो बढ़ते हुए दरिदों को.....
.. @ the poet.... 🤔🤔-
"वक्त का परिंदा कब उड़ जाये
यह राज कोई नहीं जानता
बात सब जानते तो है लेकिन,
इसे कोई नहीं मानता"-
ख्यालों का पुलिंदा लिए, बड़ी अशमंजश में है जिंदगी
उड़ने को बेचैन एक परिंदा, किसी साजिश में है जिंदगी-
इंसान ही इंसान को आज काट है बैठा,
समझदार इंसान से वे #नदान_परींदा है अच्छा।
कभी चर्च कभी मस्जिद तो कभी मंदिर पर जा बैठा,
मजहब को जोड़ने का अच्छा संदेश दे बैठा।🕊🕊🙏🙏-
यहा तो सब हारे हुवे हैं;......"जिंदा" कौन हैं!
यहा तो सब कटपूतलीयां हैं ;......"परींदा" कौन हैं!-