Abhishek Jha   (©✍️Abhishek_Jha)
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जो कभी कह नहीं पाया वो लिख लिया
अब यही तरीका मैंने सीख लिया
#अभिषेक_झा
Joined 16 August 2018


जो कभी कह नहीं पाया वो लिख लिया
अब यही तरीका मैंने सीख लिया
#अभिषेक_झा
Joined 16 August 2018
6 JUN 2022 AT 17:54

बेशाख हो रहा है वो घना वृक्ष
हर डाल टूटती जा रही है
कभी पास बैठके पूछ उससे
क्या चिंता उसे सता रही है

है घना अंधेरा छाया हुआ उसपे
उसके माथे की लकीरें बता रही हैं
कभी पूछ उससे तू,अकेले में
क्यूं आंखें आंसू बहा रही हैं

जिसके कंधे पर बचपन गुजरा है
उंगली पकड़ के चलना सीखा है
उसका सहारा बनने की तेरी बारी
तो तुझे इसमें शर्म क्यों आ रही है

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30 MAY 2022 AT 8:47

जब तोड़ना ही रहता है तो फिर क्यूं लोग रिश्ते बनाते हैं,
ना जाने क्यूं कुछ लोग बीच सफर में साथ छोड़ जाते हैं?

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15 MAY 2022 AT 6:56

अजीब कश्मकश में जिए जा रहा हूं
हर बार झूठी मुस्कान दिए जा रहा हूं
जो सोचा कि करना है वो मैं करता नहीं
न जाने अब क्या मैं किए जा रहा हूं

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9 APR 2022 AT 7:24

मां है वो, खयाल तो करेगी ही,
गलती पे मेरी,थोड़ा बवाल तो करेगी ही।
हो ले कितना भी गुस्सा किसी बात पर,
खाना खाया कि नहीं,सवाल तो करेगी ही॥

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24 FEB 2022 AT 18:23

यहां होकर भी कहीं खोया सा प्रतीत हो रहा हूं।
जमाना आगे बढ़ रहा है और मैं अतीत हो रहा हूं॥— % &

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20 FEB 2022 AT 9:18

बेवक्त भी अब कुछ गुनगुनाने लगता हूं
भर जो आती हैं आंखें, मुस्कुराने लगता हूं— % &

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12 JAN 2022 AT 10:14

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9 JAN 2022 AT 12:02

The sweetest
and dangerous
weapon.

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22 DEC 2021 AT 9:01

एक कतरा भी आंसू का नहीं बहाया हमने,
अपना आखरी वादा ऐसे निभाया हमने।

वो था तो सब कुछ सही था,उसके बाद,
हर जगह खुद को ही गलत बताया हमने।

देखकर ख्वाब उनके जलाता फिर ये हमें,
इसलिए आंखों को सारी रात जगाया हमने।

मिलेगा किसी दिन तो बताऊंगा उसको,
वो नहीं मेरा कैसे खुद को समझाया हमने।

लौटेगा नहीं फिर वो अब पुरानी राहों पर,
सच जानकर भी खुद को झुठलाया हमने।

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21 DEC 2021 AT 13:02

कुछ इस तरह से नया किरदार निभाने लगा हूं।
बात कोई भी हो बस बेवजह मुस्कुराने लगा हूं॥

रह जाऊं तन्हा कुछ पल तो शायद सब तोड़ दूं।
इस डर से भी मैं अब महफिल जमाने लगा हूं॥

थोड़ा दूर ही तो गया है वो अभी आएगा लौट कर।
दिल को अब ऐसी तसल्लियों से बहलाने लगा हूं॥

उठाकर मजा मेरी बातों का अब देते हैं दात लोग।
इनकी खुशी को, मैं अपने ग़म जो सुनाने लगा हूं॥

इस राह में अकेला मैं राही हूं,सफर है तन्हा मेरा।
अब परछाई को ही अपना हमसफर बताने लगा हूं॥

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