परख कर करोगे भी क्या इस जमाने को
झूठी तसल्ली वफा उम्मीदें है यहां बतलाने को
दे सकते हो तो दो खुशियां हजार मर्तबा
लोग मौका आजकल कम देते हैं किसी को मुस्कुराने को-
हम वो हस्ती है जो , समझ आते नहीं
और जिनको समझ जाते हैं ,वो हमें पररखते नहीं-
Ki safayi faisla sunane ke phle mangi jati hai faisla sunane ke bad ni...
Parkh kr kroge bhi kya jo soch bna li hai whi manoge...-
परखते हैं कभी वो हमें और कभी हम परखते हैं
कुछ इस तरह दोनों स्वाद ज़िन्दगी का चखते हैं-
अब तुम मोहब्बत को मेरी!!
जो अब विश्वास भी हो जाए,
तो भी ना हम मुड़
कर वापिस आयेंगे!!-
मैं परख रहा था लोगों को, बातों से अब तक ।
सच तो छिपा था, निगाहों में सबके ।-
परख के करेंगे भी क्या
परखने से रिश्तों में दरार आ जाती है
और तुमको परखे कैसे
तुम्हे खोने के डर से जान जाती है।-
परख
अक्ल से लाख कमाता है
देख सकल लुट जाता है
चमक-दमक मिट जाएगी
परख पे मूर्त टिक पाएगी।
सहज सरल व्यवस्थित नारी
चिंतन में उभरी हो अदाकारी
ना घर को कोई अनजान सुनें
सदा लोक लाज का मान बनें।
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